Holashtak 2023: आज शाम से लग रहा होलाष्टक, भूलकर भी न करें ये शुभ कार्य, होगा भारी नुकसान

ऋतु सिंह | Updated:Feb 27, 2023, 06:13 AM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Holashtak 2023: होली का त्योहार चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है और इससे आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाते हैं.

डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म होली (Holi 2023) प्रमुख रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है. इस साल 2023 में होली का पर्व (Holi 2023) 7 मार्च को मनाया जाएगा. 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को रंगों वाली होली (Holi 2023) मनाई जाएगी. होली का त्योहार चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है और इससे आठ दिन पहले से होलाष्टक (Holashtak 2023) लग जाते हैं. होलाष्टक (Holashtak 2023) होली से आठ दिन पहले से लग जाते हैं. इन दिनों कई शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक (Holashtak 2023) के दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. तो चलिए जानते है कि होलाष्टक (Holashtak 2023) कब से शुरू हो रहे हैं और इन दिनों किन कामों को नहीं करना चाहिए. 

होलाष्टक 2023 (Holashtak 2023)
होलाष्टक की शुरूआत होली से आठ दिन पहले हो जाती है. इस साल होली 7 मार्च को मनाई जाएगी इसलिए होलाष्टक की शुरूआत 28 फरवरी से होगी. होलाष्टक मंगलवार 28 फरवरी से मंगलवार 7 मार्च तक चलेगा. 

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होलाष्टक में भूलकर भी न करें ये काम
होलाष्टक के समय कई शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. होलाष्टक में शुभ कार्य करना अच्छा नहीं होता है. इन दिनों शुभ कार्य किए जाए तो वह सफल नहीं होते हैं. 
- शादी, सगाई जैसे शुभ कार्य होलाष्टक के समय नहीं करने चाहिए. इन दिनों यदि शादी की जाए तो वह सफल नहीं होगी.
- इन दिनों नामकरण, मुंडन और बच्चों के जन्म से संबंधित कोई भी कार्य नहीं करने चाहिए. यदि बच्चे की छठी इन दिनों पड़ रही है तो उसकी भी तारीख आगे बढ़ा देनी चाहिए. 
- होलाष्टक के दौरान दुल्हन की विदाई भी नहीं करनी चाहिए. इस समय दुल्हन को ससुराल से मायके और मायके से ससुराल नहीं जाना चाहिए. अगर किसी को जाना पड़े तो होलाष्टक से पहले ही चला जाना चाहिए. 
- नए घर और नए वाहन को खरीदने के लिए भी होलाष्टक शुभ नहीं होता है. इन दिनों में खरीदा हुआ सामान फलदायी नहीं होता है. इन दिनों कोई भी नया काम शुरू नहीं करना चाहिए. 

होलाष्टक में क्यों होती है शुभ कार्यों की मनाही
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रेम के देवता कामदेव ने भोलेनाथ की तपस्या भंग कर दी थी. शिव जी ने क्रोध में आकर फाल्गुन अष्टमी के दिन कामदेव को भस्म कर दिया था. कामदेव की पत्नि रति ने शिवजी की उपासना से उन्हें प्रसन्न किया और अपने पति को दूबारा से जीवित करने की प्रार्थना की थी. शिव जी ने दूबारा कामदेव में प्राण डाल दिए थे. मान्यता है कि तभी से होलाष्टक बनाने की परंपरा चली आ रही है. इस समय नकारात्मक ऊर्जा हावी होती है इसलिए शुभ कार्य करने को मना किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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