Holi 2024:  नवविवाहित बहू ससुराल में क्यों नहीं मनाती पहली होली, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से है इसका संबंध

नितिन शर्मा | Updated:Mar 21, 2024, 01:15 PM IST

रंगों के त्योहार होली (Holi Festival 2024) को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस त्योहार पर नवविवाहित बहू अपने घर यानी मायके लौट जाती है. यह परंपरा भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की बहन होलिका (Holika) से जुड़ी है. 

Holika Dahan 2024: रंगों का त्योहार होली आने में अब सिर्फ कुछ ही समय बाकी रहा गया है. इस त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. घरों में हफ्तों पहले इस त्योहार को मनाने की तैयारी शुरू हो जाती है. इसमें गुजियां बनाने से लेकर रंग लगाने तक की परंपरा है. इसी के बीच एक परंपरा नवविवाहित बहू (Newly Married Girl) का शादी के बाद पहली होली ससुराल में न मनाने का प्रचलन है. आज के समय में ज्यादातर लोग इसकी सही वजह नहीं जानते हैं, कुछ लोग जानना चाहते हैं तो उन्हें सही जवाब नहीं मिल पाता है तो आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर नई नवेली दुल्हन अपनी पहली होली मायके में ही क्यों मनाती है. 

भगवान विष्णु और उनके भक्त से जुड़ी है वजह

पुराणों में बताया गया है कि हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस के घर में एक पुत्र ने जन्म लिया था. वह जन्म से ​ही भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था. वहीं पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानता था. ऐसे में बचपन से ही पिता और पुत्र के बीच अलग दीवार बन गई. पिता हिरण्यकश्यप ने बेटे प्रह्लाद को मारने का कई बार प्रयास किया. उसने प्रह्लाद को जहर देने से लेकर सांपों के पिजरें में बंद कर दिया. इसके अलावा भी कई बेटे की हत्या के प्रयास किय गये, लेकिन भगवान विष्णु जी का भक्त प्रह्लाद हर बार अपने पिता से बच जाता था. इसी के बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने ही बेटे कोक आग में जलाकर मारने की प्लानिंग की. 

प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई होलिका

हिरण्यकश्यप की बहन को एक वस्त्र मिला हुआ था, जिसे वह ओढ़कर वह अग्नि में जल नहीं सकती थी. इसी वस्त्र को ओढ़कर होलिका भतीजे प्रह्लाद की मृत्यु के लिए जलती आग में बैठ गई. ​भगवान विष्णु का भक्त प्रह्लाद आग में बैठकर भी भगवान का जाप करता रहा. इससे होलिका का आग में न जलने वाला कपड़ा प्रह्लाद पर आ गया. इससे प्रह्लाद तो आग में जलने से बच गया, लेकिन होलिका का आग में जलकर भस्म हो गई.   

नवविवाहित बहू इसलिए नहीं मनाती ससुराल में होली

होलिका की इसी कहानी का एक और स्वरूप मिलता है. इसके अनुसार, जिस दिन होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी थी. उसी के अगले दिन उसका विवाह था. उसके होने वाले पति का नाम इलोजी था. बताया जाता है कि इलोजी की मां अपने पुत्र के साथ बारात लेकर हिरण्यकश्यप के यहां पहुंची तो उसे होलिका की चिता जलती दिखी. यह देखते ही उसके होश उड़ गये. बेटे का घर बसने से पहले ही उसकी गृहस्थी को उजड़ते देख होलिका की सास ने भी दम तोड़ दिया. उसके प्राण चले गये. इसी के बाद प्रथा चली आ रही है कि बहू अपनी पहली होली अपने मायके में मनाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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