Lathmar Holi: दुनिया भर में मशहूर है ब्रज की लट्ठमार होली, जानें इसके शुरू होने से लेकर खेलने तक की अनोखी परंपरा

नितिन शर्मा | Updated:Mar 18, 2024, 09:01 AM IST

होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को (Holi Festival 2024) मनाया जाएगा, लेकिन इससे 40 दिन पहले ही ब्रज की (Braj Ki Holi) होली शुरू हो जाती है. यहां बरसाना से लेकर मथुरा तक में लड्डूओं से (Laddu Holi) लेकर फूल और लट्ठ से होली खेली जाती है.

Lathmar Holi 2024: वैसे तो देश भर होली का त्योहार दो दिन का मनाया जाता है. इनमें एक दिन होलिका दहन और दूसरा दिन रंग वाली होली है. इस बार रंगवाली होली 25 मार्च 2024 को खेली (Holi Festival 2024) जाएगी, लेकिन श्री कृष्ण और राधा रानी की नगरी कहे जाने वाले मथुरा वृंदावन में 40 दिन तक होली चलती है. यहां देश ही ​नहीं विदेशों से भी लोग होली खेलने पहुंचते हैं. इन्हीं के बीच में मौजदू ब्रज में लट्ठमार होली (Lathmar Holi 2024) से लेकर लड्डूओं की होली बेहद मशहूर है. रंगों की होली खेलने से पहले यहां की महिलाएं और पुरुष लट्ठमार होली खेलती है. इसमें महिलाएं पुरुषों पर लट्ठमार बरसाती हैं. 

मथुरा वृंदावन में इस दिन होगी लट्ठमार होली 

इस बार होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को (Holi Festival 2024 Date) मनाया जाएगा. 24 को होलिका दहन और 25 मार्च को रंगवाली होली खेली जाएगी. वहीं मथुरा वृंदावन में होली की शुरुआत हो चुकी है. यहां एक एक दिन लड्डूमार होली (Laddu Holi 2024) से लेकर फूलों की होली, पानी की रंग की और लट्ठमार होली खेली जाएगी. इस बार लट्ठमार होली 18 मार्च 2024 को होगी. इसमें महिलाएं पुरुषों पर लट्ठ बरसाती हैं. 


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द्वापर युग से है लट्ठमार होली की परंपरा

मथुरा वृंदावन में लट्ठमार होली की परंपरा द्वापर युग से है. इस दिन नंदगांव के ग्‍वाल बाल होली खेलने के लिए बरसाने जाते हैं. यहां पर गांव की महिलाएं उन पर लाठी बरसाती हैं. कहा जाता है कि यह होली भगवान श्रीकृष्ण के युग से शुरू हुई थी. यहां भगवान श्री कृष्ण और उनके दोस्तों पर राधा और उनकी सखी सहेलियों ने जमकर लट्ठ बरासाये थे. तभी से यहां ये परंपरा अपनाई जाती है. 


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ऐसे हुई लट्ठमार होली की शुरुआत ​

बताया जाता है कि श्री कृष्ण (Shri Krishna) अपने मित्रों के साथ बरसाना में राधा जी होली खेलने गये थे. यहां उन्होंने प्यार में राधा रानी और उनकी सखियों से छेड़छाड़ की. उनकी हरकतों से परेशान होकर राधा और उनकी सखियां ने उन पर डंडे बरसाने शुरू कर दिये. उनकी मार से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण और उनके मित्रों ने ढालों का इस्तेमाल किया. यह अब वहां की परंपरा बन चुकी है. होली से पहले यहां लट्ठमार होली खेली जाती है, जहां खूब हंसी ठिठोली भी होती है. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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