Holika Dahan 2024: इस बार होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया, जानिए शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि और इसका महत्व

Written By नितिन शर्मा | Updated: Mar 24, 2024, 04:53 AM IST

Holika Dahan Kab Hai: फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंग वाली होली खेली जाती है. इससे पहले होलिका दहन किया जाता है, लेकिन इस बाद होलिका दहन पर भद्रा का साया है. ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कुछ समय के लिए ही मिलेगा. 

Holika Dahan 2024 Date and Timings: रंगों का त्योहार होली इस साल 25 मार्च को मनाया जाएगा. इससे ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. इसे छोटी होली भी कहते हैं, लेकिन इस बार होलिका दहन (Holika dahan) पर पूरे दिन भद्रा का साया रहेगा. इसकी वजह से होलिका दहन का समय बेहद कम और काफी देरी से मिलेगा. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इसकी वजह भद्रा में कोई भी काम करने की मनाही होती है. ऐसे में जानते हैं कि 24 तारीख रविवार को किस समय होलिका दहन किया जाएगा...

यह है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2024 Shubh Muhurat)

ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार के अनुसार, इस साल 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. 25 मार्च को रंग वाली होली मनाई जाएगी, लेकिन 24 मार्च को होलिका दहन वाले दिन सुबह से ही भद्रा का साया रहेगा. सुबह 9 बजकर 24 मिनट से भद्रा शुरू होगी. यह रात को 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगी. इसलिए होलिका दहन साढ़े दस बजे के बाद ही किया जाएगा. हालांकि भद्रा विशेष प्रभाव शाम 6 बजकर 33 मिनट से रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. इसमें होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है. ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 14 मिनट से रात 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. 

ऐसे करें होलिका दहन की पूजा (Holika Dahan Puja Vidhi)

होलिका दहन रंग वाली होली से एक दिन पूर्व किया जाता है. इस दिन महिलाएं होलिका की पूजा अर्चना करती है. इसके बाद होलिका दहन करने वाले व्यक्ति को सर्वहित में सबका प्रति​निधि बनकर संकल्प करना चाहिए. इसमें सभी के दुख कष्ट और पापों के नाश की कामना करते हुए होलिका दहन करना चाहिए. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पूर्णिमा की समाप्ति पर अगले दिन सूर्योदय यानी प्रतिपदा के साथ ही रंग खेला जा सकता है. इसमें शाम के समय नये कपड़े धारण कर होलिका की धुनि की वंदना करें. इसके बाद अपने देवी देवता और पितरों के चित्र पर अबीर या रंग अर्पित करें. इससे सभी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

यह है होली की पौराणिक कथा (Holika Dahan Ki Katha)

फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई के रूप में मनाया जाता है. इस दिन होलिका दहन किया जाता है. कथा के अनुसार, राक्षस हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. वहीं हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानता था. इसलिए उसे अपना बेटा पसंद नहीं था. हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किया, लेकिन इनमें वह असफल रहा. इस पर हिरण्यकश्यप ने बेटे को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद मांगी. होलिका के पास एक ऐसी चादर थी,​ जिसमें उसे वरदान मिला था कि इससे शरीर ढकने पर वह आग में भी नहीं जल सकेगी. इसी पर हिरण्यकश्यप की बहन प्रह्लाद को मारने के लिए अग्नि कुंड में बैठ गई. प्रह्लाद भगवान विष्णु का जप करता. भगवान ने चमत्कार कर होलिका की चादर को प्रह्लाद पर डाल दिया. ऐसे में होलिका की जलकर मृत्यु हो गई. वहीं प्रह्लाद जीवित बच गया. तभी से रंगों के त्योहार होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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