डीएनए हिंदी: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणपति जी का जन्म हुआ था. इस दिन से उत्सव शुरू होकर दस दिन तक चलता है. इस दौरान पूजा पंडालों और घर पर बप्पा को विराजित किए जाते हैं और उनकी विधिवत पूजा अर्चना की जाती है. दसवें दिन उननकी प्रतिमा का विर्सजन किया जाता है.
मान्यता है कि घर में भगवान गणेश की स्थापना करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है. अगर आप गणपति की पूजा कर रहे हैं तो आपको उनकी पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी होना भी जरूरी है. पूजा में गणपति जी की प्रिय चीजों को अर्पित करने का भी एक नियम और मंत्र होता है. वहीं कुछ चीजें गणपति जी को चढ़ाना वर्जित है.
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गणेश जी की प्रिय चीजों में से एक है दूर्वा. कहते हैं दूर्वा बप्पा को बेहद प्रिय है. और गणपति की पूजा दूर्वा का बिना अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं दूर्वा चढ़ाने के नियम.
ऐसे अर्पित करें दूर्वा
दूर्वा हमेशा जोड़े में भगवान के सिर पर अर्पित करनी चाहिए. दूर्वा को कभी पैर पर न रखें. दो दूर्वा को जोड़कर एक गांठ लगाएं और ऐसे करीब 22 दूर्वा लें और गांठ बनाकर इसके 11 जोड़े तैयार कर लें. चाहें तो 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा भी अर्पित कर सकते हैं.
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दूर्वा अर्पित करने का मंत्र
गणपति जी को दूर्वा अर्पित करते समय मंत्र का जाप यदि न किया जाए तो उसक फल प्राप्त नहीं होता. इसलिए जब भी दूर्वा गणपति जी को अर्पित करें इनमें से किस एक मंत्र को जरूर जपें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)