डीएनए हिंदी: मंत्रों के प्रभाव और ताकत में बहुत दम होता है. प्राचीन समय में आग बुझाने से लेकर बारिश कराने तक के लिए मंत्रों के उपयोग के बारे में तो हम जानते हैं लेकिन क्या आपको ये जानकारी है कि पुराणों में ऐसे कई मंत्र हैं जो बीमारियों और दर्द के इलाज में भी प्रयोग होते रहे हैं.
मान्यता है कि प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है और जब गहरी आस्था के साथ बीमारियों को ठीक करने के लिए विशेष मंत्रोच्चार किया जाता है तो इससे सकारात्मक असर नजर आता है.
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अथर्ववेद में मंत्रों से रोग निदान, तंत्र-मंत्र साधना सहित कई अनूठे उपाय उल्लेखित हैं. वैदिक काल में वेद मंत्रों की साधना से रोगों के इलाज का भी उल्लेख मिलता है. महाभाष्यकार पतंजलि, वेद भाष्यकार सायण जैसे विद्वानों ने भी इसका उल्लेख किया है. तो चलिए जानें किस रोग में किस मंत्र का जाप प्रभावकारी असर दिखाता है.
हड्डी रोग से मुक्ति के लिए
अगर आप हड्डी रोग से पीडि़त है तो आपके लिए अर्थवेद में मंत्र मौजूद है. जोड़ों में दर्द , जकड़न या सूजन या आर्थराइटिस की समस्या में विशेष सूर्य मंत्र का जाप लाभकारी सिद्ध होता है. इस मंत्र के जाप के साथ आप अगर शुद्ध जल में घृतकुमारी का थोड़ा रस रविवार के दिन सूर्योदय के साथ ही धूप में रख दें तो ये दर्दनाशक बन जाता है. साथ ही सूर्य देव के समक्ष 101 बार इस मंत्र का जाप करें.
अंगे अंके शोचिषा शिश्रियाणं नमस्यन्तस्त्वा हविषा विधेमश्, ॐ सूर्याय नम:।।
दिल की बीमारियों में करें इस मंत्र का जाप
दिल से जुड़ी बीमारियों में सूर्य उपासना करना बहुत लाभकारी होता है. रोज सुबह- शाम सूर्योपासना करें और ॐ रवये नम: का जाप कम से कम 51 बार पूर्व की ओर मुख कर के करें और मंत्र जाप के साथ तालियां भी बजाते रहें. वहीं रोज प्राणायाम करें व इस मंत्र का रविवार या सोमवार कम से कम 21 बार जाप करें.
मुंच शीर्षक्तया उत कास एनं परस्पराविशेषा यो अस्यए, ॐ आदित्याय नम:
दर्द और निरोगता से राहत के लिए
अगर आप किसी भी तरह के दर्द से परेशान हैं तो आपको बजरंगबली निकाल सकते हैं. हनुमान चालिसा के इस चौपाई को आप कम से कम 108 बार जपें.
बल बुधि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।
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किडनी रोग से राहत के लिए
किडनी से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या के लिए रविवार को विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए. यूरिन, स्टोन या इंफेक्शन में रविवार की सुबह सूर्योदय के समय सूर्य के समक्ष ताम्र पत्र में जल भरें और उसमें पत्थरचट्टा के दो तीन पत्तों का रस डालकर सूर्य ताप में दो-तीन घंटे रहने दें. फिर उस जल को पीते हुए सूर्य को देखते हुए इस मंत्र का जाप 101 बार करें.
विद्या शरस्य पितरं सूर्यं शतवृष्णयम्,
अमूर्या उप सूर्ये याभिर्वा सूर्य सह,
ता नो हिन्वन्त्वध्वरम,
ॐ भास्कराय नम:।
स्वस्थ प्रसव के लिए
अथर्ववेद में हेल्दी डिलीवरी के लिए सूर्य उपासना के लिए भी मंत्र है. सूर्य देव को जलकर धूप का सेवन करें. जच्चे-बच्चे के स्वास्थ्य के लिए रविवार से इस मंत्र के प्रतिदिन 51 बार पाठ करें.
विते भिनऽमेहनं वि योनिं वि गवीनिके।
वि मातरं च पुत्रं च विकुमारं
जरायुणाव जरायु पद्यताम्।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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