Rameshwaram Jyotirlinga: रामेश्वरम मंदिर में धुल जाते हैं ब्रह्म हत्या जैसे पाप, क्या है मंदिर का इतिहास? 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 15, 2022, 03:06 PM IST

रामेश्वरम मंदिर में ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मिलती है मुक्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तमिलनाडु में रामेश्वरम मंदिर में पूजा अर्चना करने से ब्रह्म हत्या जैसे पापों से छुटकारा मिलता है. यहां जानिए इतिहास

डीएनए हिंदी: Rameshwaram Temple Rahasya, History- तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले स्थित रामेश्वरम मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इस मंदिर को रामनाथ स्वामी मंदिर (Ramanathaswamy Temple) के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है. जैसे उत्तर भारत में काशी का महत्व है, वैसे ही दक्षिण भारत में रामेश्वरम का महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग को भगवान राम ने स्थापित किया था. इसके पीछे कई धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा आराधना करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

रामेश्वरम मंदिर का इतिहास (History of Rameshwaram Temple In Hindi)

शास्त्रों के अनुसार भगवान राम रावण से युद्ध और लंका पर विजय पाने के बाद भगवान शिव की पूजा करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना की थी, तब से इसका नाम रामेश्वरम पड़ा. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, रावण एक ब्राह्मण था. इसलिए ब्राह्मण को मारने के दोष को खत्म करने के लिए भगवान राम महादेव की पूजा करना चाहते थे लेकिन वहां कोई मंदिर न होने के कारण हनुमान जी को कैलाश पर्वत से भगवान शिव के शिवलिंग लाने के लिए कहा. कहा जता है तब हनुमान जी समय पर शिवलिंग लेकर नहीं पहुंच पाए, ऐसे में माता सीता ने समुद्र की रेत को मुट्ठी में उठाकर शिवलिंग का निर्माण किया.  इसी शिवलिंग की भगवान राम ने पूजा की. इसके अलावा हनुमान जी के द्वारा लाए गए शिवलिंग को भी यहीं पर स्थापित कर दिया गया. 

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रामेश्वरम मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Interesting Facts About Rameshwaram Mandir) 

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने ब्राह्मण हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी. कहते हैं इस ज्योतिर्लिंग की विधि-विधान से पूजा करने से ब्रम्ह हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलता है. इसके अलावा जो व्यक्ति यहां स्थित भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग पर पूरी श्रद्धा से गंगाजल चढ़ाता है उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मोक्ष मिलता है. 
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  इस मंदिर के अंदर सभी कुएं का निर्माण भगवान राम ने अपने बाणों से किया था. इसके अलावा कहा जाता है कि इनमें कई तीर्थ स्थलों का जल मिलाया गया था. 
  • यह मंदिर लगभग 1000 फुट लंबा और 650 फुट चौड़ा है. इसके अलावा मंदिर में 40 फुट ऊंचे दो पत्थर इतनी बराबरी के साथ लगाए गए हैं कि इनको आप देखते रह जाएंगे. कहा जाता है रामेश्वर मंदिर निर्माण में लगाए हुए पत्थरों को श्रीलंका से नावों के जरिए लाया गया था.
  • इस मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है. यह उत्तर से दक्षिण में 197 मीटर और पूर्व पश्चिम में 133 मीटर लंबा है इसके अलावा इस गलियारे के परकोटे की चौड़ाई 6 मीटर और ऊंचाई 9 मीटर है. रामेश्वरम मंदिर का प्रवेश द्वार 38.4 मीटर ऊंचा है और मंदिर प्रांगण लगभग 6 हेक्टेयर में फैला हुआ है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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