डीएनए हिंदीः माता सीता का जन्मोत्सव यानी जानकी जयंती पर सुहागिन महिलाएं विशेश ।रूप से व्रत करती हैं. जानकी माता के व्रत से घर में सुख शांति आती है और ऑपति की लंबी उम्र भी होती है. तो चलिए जानें कि इस साल जानकी जयंती कब है और व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व क्या है.
फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि मनाई जाती है. इस साल राजा जनक की पुत्री और भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता का प्राकट्य उत्सव 13 फरवरी को मनाया जाएगा. इस पर्व को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है. माता सीता अपने त्याग एवं समर्पण के लिए पूजनीय हैं.
जानकी जयंती के दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा-उपासना करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि इस सौभाग्यशाली दिन माता सीता की पूजा अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करते हैं तो भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
जानकी जयंती तिथि 2023
फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 फरवरी को सुबह 8 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 14 फरवरी को सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि को मानते हुए जानकी जयंती 14 फरवरी को मनाई जाएगी.
जानकी जयंती व्रत विधि
सुबह स्नान कर मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और व्रत का संकल्प लें.भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें और देवी का सोलह श्रृंगार कर पूजन करें और शाम को माता सीता की आरती बाद व्रत खोलें और सबसे पहले भगवान राम और माता सीता को भोग लगाएं.
जानकी जयंती का महत्व
जानकी जयंती का दिन को माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने घर की सुख शांति और अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा करता है उसे सोलह महा दान का फल और पृथ्वी दान का फल प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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