डीएनए हिंदीः Krishna Janmashtami Muhurt Time- श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और इस त्यौहार को गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान कृष्ण का जन्म रात में 12 बजे हुआ था, इसलिए इस दिन रात में 12 बजे के बाद विधि- विधान से भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है. हालांकि, पूजा मुहूर्त को लेकर कई लोग असमंजस की स्थिति में है. बता दें कि आज यानी 6 सितंबर, दिन बुधवार को 3 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि लगी है, और यह शुभ तिथि 7 सितंबर को 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. ऐसे में अगर आप पूजा की मुहूर्त को लेकर असमंजस में है तो चलिए बताते हैं जन्माष्टमी की पूजा शुभ मुहूर्त.
स्मार्त के लिए जन्माष्टमी की तारीख और शुभ मुहुर्त
07 सितंबर 2023
पूजा का शुभ मुहुर्त 6 सितंबर - 11:57 Pm से 12:42 Am तक
इस बार स्मार्त के लिए जन्माष्टमी पर्व की पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि 11:57 बजे से लेकर 07 सितंबर 2023 को 00:42 बजे तक रहेगा. इसके अलावा स्मार्त के लिए जन्माष्टमी पर्व के पारण का समय 07 सितंबर 2023 को सायंकाल 4:14 बजे के बाद...
वैष्णव के लिए जन्माष्टमी की तारीख और शुभ मुहुर्त
07 सितंबर 2023
पूजा का शुभ मुहुर्त 7 सितंबर - 11:55 Am से 12:40 Pm तक
वैष्णव के लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि 11:56 बजे से लेकर 08 सितम्बर 2023 को 00:42 बजे तक रहेगा. वहीं वैष्णव के लिए जन्माष्टमी पर्व के पारण का समय : 08 सितंबर 2023 को प्रात:काल 06:02 बजे के बाद
श्रीकृष्ण के इस मंत्र का करें जाप (Janmashtami Mantra)
ॐ कृष्णाय नमः
ऊँ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।। एम
जन्माष्टमी पूजा विधि जान लें (Janmashtami Puja Vidhi)
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल का व्रत सुबह से शुरू होता है लेकिन मुख्य पूजा शाम के समय शुरू होती है और पूजा स्थल पर कृष्ण जी की झांकी सजाई जाती है. साथ ही पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका विधिवत पूजन करना होता है. इसके अलावा रात को बारह बजे शंख तथा घंटी बजाकर कान्हा का जन्म कराया जाता है और पूजा में खीरा शामिल करना जरूरी होता है. इसके बाद बाल गोपाल को भोग लगाकर कृष्ण चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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