डीएनए हिंदीः संतान की लंबी आयु और रक्षा के माएं हर साल जितिया पर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. 17 सितंबर से व्रत नाह-खाय के साथ शुरू होगा और 19 सितंबर को व्रत का पारण होगा. व्रत पूजन विधि से लेकर पूजन सामग्री तक की चलिए आपको पूरी लिस्ट दें.
जितिया व्रत के नियम काफी सख्त होते हैं. पुत्र की लंबी आयु की कामना से रखे जाने वाले व्रत में कई साम्रगियों के चढ़ावे तैयार करने होते हैं. हर साल अश्विन मास के अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन की पूजन विधि विशेष होती है. इस दिन जितिया का मुख्य व्रत होता है. ये निर्जला रखा जाता है. आइए जानते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत की सामग्री, मुहूर्त और महत्व
जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 मुहूर्त
अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 सितंबर 2022 को दोपहर 2.14 मिनट से शुरू होगी. अष्टमी तिथि का समापन 18 सितंबर 2022 को शाम 04.32 मिनट तक रहती है. उदयातिथि के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा. व्रत पारण समय - सुबह 6.10 के बाद (19 सितंबर 2022).
जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा सामग्री
इस व्रत में भगवान जीमूत वाहन, गाय के गोबर से चील-सियारिन की पूजा का विधान है. जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत(चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है.
जीवित्पुत्रिका व्रत महत्व
जीवित्पुत्रिका व्रत का संबंध महाभारत काल से है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान को लंबी उम्र का वरदान प्राप्त होता है. कहते हैं कि जो महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत करती हैं और कथा पढ़ती है उनकी संतान को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता. संतान की रक्षा और उसकी उन्नति के लिए ये बहुत लाभकारी माना जाता है. ये व्रत छठ की तीन दिन तक किया जाता है.पहले दिन महिलाएं नहाय खाय करती हैं. दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और तीसरे दिन व्रत का पारण करते हैं.
जितिया संपूर्ण पूजन विधि
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें.
- भगवान जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें.
- मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं.
- इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाएं.
- जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा कहें या सुनें.
- वंश की वृद्धि और प्रगति के लिए उपवास कर बांस के पत्रों से पूजन करें.
- मां को 16 पेड़ा, 16 दूब की माला, 16 खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, 16 लौंग, 16 इलायची, 16 पान, 16 खड़ी सुपारी व श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर