Jitiya Vrat 2022: 36 घन्टे का बहुत कठ‍िन व्रत होता है ज‍ित‍िया, इन गलत‍ियों से हो सकता है ख‍ंडित

Written By ऋतु सिंह | Updated: Sep 16, 2022, 07:15 AM IST

बहुत कठ‍िन व्रत होता है ज‍ित‍िया, इन गलत‍ियों से हो सकता है ख‍डिंत 

Jitiya Vrat 2022: जि‍तिया यानी जीव‍ित्‍पुत्रिका का व्रत बहुत ही कठिन माना गया हैं. संतान की रक्षा और लंबी आयु के लिए मांए 36 घंटे का ये व्रत रखती हैं. इस व्रत में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए वरना छोटी सी भूल से ये खंडित हो सकता है.

डीएनए हिंदी: संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत इस बार रविवार 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. ये व्रत न‍िर्जला होता है और इसे करने से पहले कुछ सावधानी के बारे में जरूर जान लेना चाहिए. एक बार ये व्रत उठाने के बाद इसे छोड़ा नहीं जाता है. सास से बहू को ये व्रत ट्रांसफर जरूर किया जा सकता है. तो चलिए जानें इसक व्रत कि नियम क्‍या हैं और किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए. 

यह भी पढ़ें: Radha Ashtami: 3 या 4 सितंबर किस दिन होगी राधा अष्टमी, जानें व्रत पूजा विधि और महत्‍व
 

व्रत करने से पहले से जान लें, वरना टूट जाएगा व्रत

  • इस व्रत करने से एक दिन पहले से तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्‍याज या मांसाहार नहीं करना चाहिए. 
  • महिला का ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है.
  • व्रत हमेशा शांत मन से करें और व्रत के दिन मन में बुरे विचार या बुरे वचन न बोलें.
  • व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म की शुद्धता बेहद जरूरी है. कलह और झगड़े से व्रत खंडित हो सकता है. 
  • व्रत पहली बार अगर आप निर्जला रख रही तो आजीवन इसे निर्जला रखना होगा. 
  • व्रत के दिन बच्‍चों के साथ समय गुजारें और उन्‍हें जितिया की कथा सुनाएं. क्‍योंकि इसके बिना व्रत का पुण्‍यफल नहीं मिलेगा. 

जितिया की पूजन विधि

जितिया के दिन व्रत कथा के जीमूतवाहन की पूजा का विधान है. अष्टमी तिथि के दिन प्रदोष काल में तलाब के निकट कुशा से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाई जाती है. साथ ही कथा के चील और मादा सियार की मूर्तियां भी गोबर से बनाते हैं. सबसे पहले जीमूतवाहन को धूप,दीप,फूल और अक्षत चढ़ाएं तथा चील और सियार को लाला सिंदूर से टीका लगाएं. इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें और अतं में आरती की जाती है. इस दिन पूजन में पेड़ा, दूब, खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, इलाईची, पान-सुपारी और बांस के पत्ते भी चढ़ाए जाते हैं. जितिया के पूजन में सरसों का तेल और खली भी चढ़ाई जाती है, जिसे बुरी नजर दूर करने के लिए अगले दिन बच्चों के सिर पर लगाया जाता है.

यह भी पढ़ें: Ganpati Visarjan 2022 : घर पर कब और कैसे करें भगवान गणपति का विसर्जन, जानिए पूरी डिटेल 

जितिया व्रत की तिथि
 हिन्दू पंचांग के मुताबिक़ जितिया व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है. इस वर्ष यह उपवास रविवार 18 सितंबर की रात से शुरू होगा और सोमवार 19 सितंबर तक चलेगा. इस व्रत का पारण सोमवार 19 सितंबर को ही किया जाएगा.

जीवित्पुत्रिका व्रत का शुभ मुहूर्त

शनिवार 17 सितंबर को जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होगी. उसके बाद रविवार 18 सितंबर को निर्जला व्रत रखा जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़ शनिवार17 सितंबर को दोपहर 2.14 पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और रविवार 18 सितंबर दोपहर 4.32 पर अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी. ज्योतिषचार्यों के अनुसार जितिया का व्रत रविवार 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा और इसका पारण सोमवार 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा. जबकि सोमवार 19 सितंबर की सुबह 6.10 पर सूर्योदय के बाद माताएं व्रत का पारण कर सकती है.

जीमूत वाहन देवता की ही होती है पूजा 
बता दें कि अष्टमी तिथि के दिन स्नान करके जीमूत वाहन देवता को पूजा जाता है. जबकि उसी दिन प्रदोष काल में भी जीमूत वाहन देवता की भी पूजाकी जाती है. मान्यता है कि देव को दीप, धूप, अक्षत, रोली, लाल और पीली रूई से सजा कर फिर उन्हें भोग लगाते हैं.

गाय के गोबर और मिट्टी से बही नाई जाती है मूर्ति

इसके अलावा पूजन के समय मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाकर उन्हें लाल सिंदूर लगाया जाता है. फिर जीवित्पुत्रिका की कथा पढ़ी जाती है. फिर वंश की वृद्धि और प्रगति की कामना के साथ बांस के पत्रों से भगवान की पूजा की जाती है.

पारण करने का नियम

धार्मिक मन्यताओं के मुताबिक़ जितिया व्रत के तीसरे दिन ही पूजा -पाठ के बाद इसका पारण किया जाता है. कई जगहों पर इस दिन भी नहाए खाए वाले दिन ग्रहण किया गया भोजन ही किया जाता है. जैसे- मडुआ की रोटी, नोनी का साग, दही-चूरा, खार आदि. दोपहर 12 बजे के बाद पारण कर लेना चाहिए. बस सूर्यास्‍त के पहले पारण जरूर कर लें.  
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.