डीएनए हिंदीः हिमाचल प्रदेश के कांगडा में मां ज्वाला देवी का मंदिर (Jwala Devi Mandir) स्थित है. यहां स्थित ज्वाला देवी मंदिर (Jwala Devi Temple) पूरे देश में काफी प्रसिद्ध है. यह मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से भी एक है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर मां सती (Mata Sati) की जीभ गिरी थी. इस मंदिर से जुड़ा एक रहस्य है जिसके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है. इस मंदिर में बगैर तेल और बाती के सदियों से ज्योत जल रही है. यहां पर 9 पावन ज्योति जल रही हैं. मंदिर में जल रही 9 ज्योत माता के 9 स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं.
ज्वाला देवी मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यता (Jwala Devi Mandir)
ऐसी मान्यता है कि भक्त गोरखनाथ यहां पर माता की आराधना कर रहे थे. गोरखनाथ माता के सच्चे भक्त थे. वह जह मां की उपासना कर रहे थे तभी उन्हें भूख लगी उन्होंने माता से कहा आप यहीं आग जलाकर पानी गर्म करें में भिक्षा मांगकर कुछ लाता हूं. गोरखनाथ भिक्षा लेने गए तो वे वापस लौटकर नहीं आए. तभी से यहां पर यह ज्वाला प्रज्जवलित है.ऐसा कहा जाता है कि सतयुग वापस आने पर ही गोरखनाथ लौटकर आएंगे तब तक यह ज्वाला जलती रहेगी.
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कहां स्थित है ज्वाला देवी मंदिर (Jwala Devi Mandir, Kangra)
हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा घाटी से करीब 30 किलोमीटर दूर यह मंदिर स्थित है. यहां पर मंदिर में किसी मूर्ति की नहीं बल्कि ज्वाला की पूजा होती है. यहां पहुंचने के लिए आप ट्रेन के जरिए पालमपुर रेलवे स्टेशन से जा सकते हैं. पालमपुर से आप बस या कार के जरिए मंदिर जा सकते हैं. सड़क मार्ग के जरिए भी आप यहां पहुंच सकते हैं वायु मार्ग से जाने के लिए आपको कांगडा हवाई अड्डा जाना पड़ेगा यहां से कार से मंदिर जा सकते हैं.
अकबर ने की थी ज्वाला को बुझाने की कोशिश
मुगल बादशाह अकबर को जब इस मंदिर की चमत्कारी ज्वाला के बारे में पता चला तो उसने सेना की मदद से इसे बुझाने की कोशिश करी थी. हालांकि कई बार प्रयास करने के बाद भी वह इसे बुझा नहीं पाया. जब वह इसे नहीं बुझा सका तो माता की शक्ति के आगे वह भी नतमस्तक हो गया. वह सोने का छत्र चढ़ाने के लिए मंदिर पहुंचा था हालांकि इसे मां ने स्वीकार नहीं किया.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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