डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल (Mahakal) के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirling Mandir) से कई कहानियां और रहस्य जुड़े हुए हैं. महाकाल का यह मंदिर सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं पूरे भारत में प्रसिद्ध है. यहां भगवान शिव के भक्त दूर दूर से महाकाल (Mahakal) के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. महाकाल का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirling) में से एक है. यहां पर रोज महाकाल की भस्म आरती (Mahakal Bhasm Aarti) होती है इस दौरान महाकाल पर भस्म चढ़ाई जाती है. भस्म आरती (Bhasm Aarti) के बाद ही सुबह की आरती और भगवान को भोग लगाया जाता है. भस्म आरती के समय कोई भी महिला महाकाल के दर्शन नहीं कर सकती हैं. आज हम आपको इस नियम के पीछे के रहस्य के बारे में बताएंगे.
भस्म आरती के समय घूंघट कर लेती हैं महिलाएं
जब मंदिर में महाकाल की भस्म आरती होती है उस समय सभी महिलाएं घूंघट कर लेती है. मंदिर के पुजारी मानते है कि महाकाल भस्म आरती के समय शिव रूप से शंकर रूप में आते हैं. जब महाकाल निराकार से साकार रूप में आते हैं तो उन्हें भस्म लगाई जाती है. भस्म आरती के दौरान महिलाओं को महाकाल के अभ्यंग स्नान के दर्शन नहीं करने दिया जाता है. महिलाओं को महाकाल की भस्म आरती के दर्शन न करने देने के पीछे यहीं एक कारण है.
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भस्म आरती में शामिल होने के भी हैं नियम
महाकाल की भस्म आरती में शामिल होने के भी नियम हैं. यहां इस भस्म आरती में शामिल होने के लिए महिलाओं को साड़ी पहनना जरूरी होता है. भस्म आरती में शामिल होने के लिए सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि पुरुषों के लिए भी कुछ नियम हैं. पुरुषों को इस आरती में शामिल होने के समय सिर्फ सूती कपड़े की साफ-सुथरी धोती पहननी होती है. सभी भक्त भस्म आरती को केवल देख सकते हैं. भस्म आरती करने का अधिकार केवल यहां मौजूद पुजारियों का है.
सिर्फ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर ही चढ़ाई जाती है भस्म
महाकाल को ब्रह्मांड का राजा भी माना जाता है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को सभी 12 ज्योतिर्लिंग में से तीसरे स्थाप पर महत्व दिया जाता है. आप उज्जैन के इस मंदिर में सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक दर्शन कर सकते हैं. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में हर रोज महाकाल को भस्म चढ़ाई जाती है. आपको बता दें कि यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भस्म आरती की जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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