Kaal Bhairav Jayanti: शिव के रूप काल भैरव की करें पूजा-अर्चना, दूर हो जाएगा मृत्य का भय

सुमन अग्रवाल | Updated:Nov 16, 2022, 11:21 AM IST

Kaal Bhairav को शिव का रूप कहते हैं, कल इनकी जयंती है और इस दिन पूजा करने से मृत्यु का डर खत्म हो जाता है, क्या है पूजा विधि और कथा

डीएनए हिंदी: Kaal Bhairav Shiv Ka Roop, Puja, Vidhi, Katha- मार्गशीर्ष महीने में काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti) आती है, इस दिन काल भैरव की पूजा होती है, इस साल 16 नवंबर को काल भैरव की पूजा होगी. अगर किसी को मृत्यु का भय सताता है तो इस दिन काल भैरव की पूजा आराधना करने से सारे डर भाग जाते हैं. पुराणों के अनुसार भैरव भगवान शिव का दूसरा रूप हैं. भैरव का अर्थ भयानक और पोषक दोनों ही है. इनका वाहन कुत्ता है, इनसे काल भी डरा हुआ रहता है इसलिए इन्हें काल भैरव भी कहा जाता है. 

काल भैरव के दिन क्या करें 

ये शिव जी के दूसरे रूप हैं, इस दिन इनकी पूजा करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. काल भैरव एवं भोले शंकर की पूजा करने से अंदर के सारे डर समाप्त हो जाते हैं, इस दिन पास के शिव जी के मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिए. शिव जी प्रसन्न होते हैं और मन चाहा फल देते हैं. पुराणों के मतानुसार भैरव अष्टमी के दिन गंगा स्नान तथा पितृ तर्पण श्राद्ध सहित विधिवत व्रत करने से सभी लौकिक और पारलौकिक बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है. रविवार तथा मंगलवार को अष्टमी का महत्व अत्यंत फलदायी बताया गया है. इस दिन पूजा करके दही, मिठाई का भोग लगाना चाहिए. 

यह भी पढ़ें- काल भैरव जयंती के दिन करें रोटी और सरसों तेल से ये उपाय, घर में आएगी सुख-शांति

क्या है कथा 

एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में विवाद छिड़ गया कि परम तत्व कौन है. दोनों के बीच विवाद बढ़ा तो मामला ऋषियों तक पहुंच गया. महर्षियों ने चिंतन मनन और विचार विमर्श करने के बाद कहा कि वास्तव में परम तत्व कोई अव्यक्त सत्ता है, विष्णु जी और ब्रह्मा जी उसी विभूति से बने हैं. दोनों में उसी के अंश हैं. विष्णु जी ने इसे स्वीकार कर लिया किंतु ब्रह्मा जी ने नहीं माना और अपने को सर्वोपरि तथा सृष्टि का नियंता घोषित कर दिया. परम तत्व की अवज्ञा बहुत बड़ा अपमान था, यह भगवान शंकर को नहीं स्वीकार हुई और उन्होंने तुरंत ही भैरव का रूप रख कर ब्रह्मा जी के अहंकार को चूर चूर कर दिया. जिस दिन यह घटनाक्रम हुआ, उस दिन मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी थी, इसलिए उस दिन को मार्गशीर्ष मास की अष्टमी कहते हैं. इस दिन काल भैरव की जयंती होती है. काल भैरव सदा धर्म साधक, शांत, तथा सामाजिक मर्यादाओं का पालन करने वाले प्राणी की रक्षा करते हैं, उनकी शरण में जाने से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.

यह भी पढ़ें- कब है काल भैरव, पूजा विधि, शुभ समय, कैसे करें पूजा 

यह भी पढ़ें- कब है मार्गशीर्ष अमावस्या, शुभ मुहूर्त, स्नान दान का महत्व

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Kaal Bhairav jayanti 2022 kaal bhairav puja lord shiva puja kaal bhairav puja vidhi