Kaal Bhairav Jayanti 2024: आज कालभैरव जयंती पर करें भगवान शिव की पूजा, जानें पूजा विधि से लेकर शुभ मुहूर्त और महत्व

Written By नितिन शर्मा | Updated: Nov 22, 2024, 07:35 AM IST

काल भैरव भगवान शिव के स्वरूप को समर्पित है. इसे कालाष्टमी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव के कालभैरव स्वरूप की पूजा अर्चना करने से जीवन में आने वाली बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती है.

Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi: देवों के देव महादेव भगवान शिव को कई रूप और नाम से जाना जाता है. इन्हीं में से एक कालभैरव है. आज कालभैरव जयंती मनाई जाएगी. काल भैरव भगवान शिव के स्वरूप को समर्पित है. इसे कालाष्टमी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव के कालभैरव स्वरूप की पूजा अर्चना करने से जीवन में आने वाली बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती है. नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. काल भैरव को शक्ति और साहस का देवता माना जाता है. यही वजह है कि इनकी पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में दुख और कष्टों का नाश होता है. मृत्यु का भय खत्म हो जाता है. आइए जानते हैं कालभैरव जयंती पर शुभ तिथि से लेकर पूजा विधि और इसका महत्व...

काल भैरव जयंती 2024 तिथि 

हिंदू पंचांग के अनुसार, कालभैरव जयंती हर साल मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मनाई जाती है. इस बार इसकी शुरुआत 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 23 नवंबर 2024 को रात 7 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार कालभैरव जयंती 22 नवंबर 2024 शुक्रवार को मनाई जाएगी. 

काल भैरव जयंती 2024 का शुभ मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, काल भैरव जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 50 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. वहीं निशिता काल मुहूर्त 22 नवंबर 2024 शुक्रवार को रात 11 बजकर 41 मिनट से 23 नवंबर रात 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

कालाष्टमी का महत्व

हिंदू धर्म के प्रमुख व्रत और त्योहारों में से एक कालाष्टमी काल भैरव जयंती भी है. यह भगवान काल भैरव और भगवान शिव के एक उग्र रूप को समर्पित है. इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना की जाती है. व्रत का संकल्प लेकर पूजा अर्चना करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है. जीवन से भय और दुखों की समाप्ति होती है. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कालभैरव व्रत और पूजा विधि 

कालभैरव जयंती पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ सफाई करें. इसके बाद  स्नान कर साफ सुथरे कपड़े धारण करें. इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल की सफाई करें. सुबह पूजा के समय घर के मंदिर या पूजा स्थल में दीपक और धूप जलाएं और भगवान भैरव देव की पूजा-अर्चना करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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