Sankashti Chaturthi 2024: कब है गजानन संकष्टी चतुर्थी? नोट कर लें सही डेट, पूजा विधि और मंत्र

Abhay Sharma | Updated:Jul 20, 2024, 11:24 AM IST

कब है गजानन संकष्टी चतुर्थी?

Gajanana Sankashti Chaturthi Date: जुलाई के महीने में सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा, यहां जानें कब पड़ रही है ये शुभ तिथि...

सनातन धर्म में भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है, इसलिए शादि-विवाह, पूजा-पाठ या अन्य किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार हर माह में चतुर्थी तिथि पड़ती है, जो भगवान गणेश को समर्पित होती है. इस दिन गणेश भगवान की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता है. बता दें कि धार्मिक ग्रंथों में भगवान गणेश की पूजा के लिए चतुर्थी तिथि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार जुलाई के महीने में सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Gajanana Sankashti Chaturthi) रखा जाएगा, आइए जानते हैं कब पड़ रही है ये तिथि और क्या है शुभ मुहूर्त...

कब है गजानन संकष्टी चतुर्थी? (Gajanana Sankashti Chaturthi Date)

बता दें प्रति माह संकष्टी चतुर्थी का उपवास रखा जाता है और हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जुलाई को सुबह 07 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 25 जुलाई को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 24 जुलाई को ही गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. 


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गजानन संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद एक चौकी को सजाएं और उसपर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें फिर विधि अनुसार उनका जल से अभिषेक करें. इसके बाद पीले फूलों की माला अर्पित करें और कुमकुम का तिलक लगाएं. साथ ही घर पर बनी कोई भी मिठाई मोदक आदि का भोग लगाएं. भगवान गणेश को दुर्वा घास जरूर चढ़ाएं.

फिर भगवान गणेश के वैदिक मंत्रों का जाप और गणपति चालीसा का पाठ करें. अगर आपके लिए स्तोत्र का पाठ करना संभव न हो तो नीचे दिए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं. आखिर में आरती से पूजा समाप्त करें और पूजा में हुई गलती की क्षमा मांगे.

नोट- पूजा में तुलसी का इस्तेमाल भूलकर भी न करें और तामसिक चीजों से दूर रहें.


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मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः 
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने
एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि 
तन्नो दंती प्रचोदयात

गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् .
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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