Ganga Dussehra 2023: क्या है गंगाजल की पवित्रता और शुद्धता के पीछे का धार्मिक-वैज्ञानिक रहस्य? जानिए ये 3 हैरान कर देने वाले कारण

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 28, 2023, 03:06 PM IST

जानिए क्या है गंगाजल की पवित्रता और शुद्धता के पीछे का धार्मिक-वैज्ञानिक रहस्य

Ganga Dussehra 2023: सनातन धर्म में गंगाजल को बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना जाता है. यहां जानिए क्या है इसके पीछे की धार्मिक और वैज्ञानिक वजह...

डीएनए हिंदीः हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2023) का पर्व मनाया जाता है. इस बार ये शुभ तिथि 30 मई दिन मंगलवार को पड़ रही है. सनातन धर्म में गंगा नदी का खास महत्व है, गंगा नदी में स्नान करने से जीवन के सारे पाप मिट जाते हैं. इतना ही नहीं, सनातन धर्म में सभी नदियों को माता कहा गया है और इन नदियों में गंगा का स्थान सबसे ऊपर है. अगर किसी की मृत्यु हो रही है तो उसके मुंह में गंगा जल डाला जाता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

गंगा जल को पवित्र मानने के पीछे केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से गंगा जल से जुड़ी इन खास बातों के बारे में बताने वाले हैं, तो आइए जानते हैं इसके बारे में...

क्यों गंगा जल को माना जाता है इतना पवित्र (Religious Importance Of Gangajal)

सनातन धर्म के कई ग्रंथो में यह उल्लेख मिलता है कि देवनदी गंगा की उत्पत्ति परमपिता ब्रह्मा के कमंडल से हुई है और गंगाजल का सेवन देवता भी मोक्ष पाने के लिए करते हैं. कहा जाता है गंगा नदी स्वर्ग लोक में बहती है. देवी गंगा हिमालय की पुत्री और माता पार्वती की बहन है और देवी गंगा को भगवान शिव की दूसरी पत्नी भी कहते हैं.

इसके अलावा, भगवान विष्णु के चरण स्पर्श करने के कारण ही इन्हें विष्णुपदी भी कहते हैं. गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए सनातन धर्म में गंगा जल को इतना पवित्र मानते हैं. 

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ये है वैज्ञानिक कारण (Scientific Importance of Gangajal)

इसके अलावा गंगा जल को पवित्र मानने का वैज्ञानिक कारण भी हैं. दरअसल, गंगा ऊंचे पहाड़ों से होती हुई धरती पर आती है. इस पानी में पर्याप्त मात्रा में मिनरल्स होते हैं जो शरीर के लिए अति आवश्यक माने गए हैं.  वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार गंगा जल में बैक्टीरियोफैज नाम का एक वायरस होता है जो हानिकारक बैक्टीरिया को तुरंत नष्ट करने में मदद करता है. यही वजह ही कि गंगा का पानी लंबे समय तक खराब नहीं होता. इतना ही नहीं गंगा जल में ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की भी क्षमता है, जो अन्य किसी नदी के पानी में नहीं होती है.

ये भी है एक  कारण 

इतना ही नहीं, गंगा जल को पवित्र मानने के पीछे एक कारण ये भी है कि इसमें वातावरण से ऑक्सीजन सोखने का एक अद्भुत गुण है जिससे ये हमेशा ताजा बना रहता है. इसके अलावा गंगा नदी के पानी में प्रचूर मात्रा में गंधक भी पाया जाता है, जिसकी वजह से इसमें कीड़े नहीं पैदा होते हैं और इस वजह से इस पानी में औषधीय गुण बने रहते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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