Gangaur Puja 2023: अखण्ड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं इस दिन रखेंगी गणगौर का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Mar 20, 2023, 12:26 PM IST

अखण्ड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं इस दिन रखेंगी गणगौर का व्रत

Gangaur Puja 2023: सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और कुंवारी लड़कियां मनचाहे पति की कामना के लिए गणगौर का व्रत रखती हैं. यहां जानिए शुभ तिथि

डीएनए हिंदीः हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए गणगौर पूजा करती है. ये शुभ दिन भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित है. इसलिए इसे गौरी तृतीया (Gauri Tritiya) के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि की तृतीया तिथि (Gangaur Teej 2023) के दिन मनाया जाने वाला गणगौरी का त्योहार स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है.

इसके अलावा विवाह योग्य लड़कियां शिव (Shiv Parvati Puja) जैसे पति को पाने के लिए गणगौर पूजन करती है, तो चलिए जानते है इस साल कब है गणगौर पूजा (Gangaur Tritiya 2023 Time and Muhurat) क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व. 

गणगौर पूजा 2023 (Gangaur Puja 2023 Date)

इस साल गणगौर का शुभ पर्व 24 मार्च 2023 को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 23 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 24 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी.

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गणगौर पूजा का महत्व (Gangaur Puja Significance)

गणगौर दो शब्दों से मिलकर बना है 'गण' और 'गौर' जिसमें गण का तात्पर्य है शिव और गौर का अर्थ है पार्वती. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पार्वती जी सोलह शृंगार करके सौभाग्यवती महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए निकली थीं, इसलिए इस शुभ दिन के मौके पर सुहागिन महिलाएं भगवान शिव के साथ पार्वती जी की पूजा कर उनसे अपने सुहाग की रक्षा की कामना करती है. 

गणगौर पूजा विधि (Gangaur Puja Vidhi)

गणगौर राजस्थान का मुख्य पर्व है लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी ये त्योहार मनाया जाता है. राजस्थान में ये पर्व होली के दिन से शुरू होकर 16 दिनों तक चलता है और इन दिनों में रोजाना शिव-पार्वती की मिट्‌टी से बनी मूर्ती की पूजा की जाती है. 

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इसके बाद चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन यानी गणगौर पूजा वाले दिन महिलाएं व्रत-पूजा कर कथा सुनती हैं और मैदा, बेसन या आटे में हल्दी मिलाकर गहने बनाती हैं और देवी माता को चढ़ाते हैं. इसके बाद महिलाएं झालरे देती हैं. नदी या सरोवर के पास मूर्ति को पानी पिलाया जाता है और फिर अगले दिन मूर्ति विसर्जित कर दी जाती है. 

इसके अलावा जहां पूजा की जाती है उस जगह को गणगौर का पीहर और जहां विसर्जन होता है वो जगह ससुराल माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणगौर वाले दिन विवाहित महिलाओं को सुहाग की सामग्री जरुर बांटनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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