Holi 2023: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है सिर्फ 12 मिनट, जानें सही समय और कब खेली जाएगी होली

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 06, 2023, 06:53 AM IST

होलिका दहन के लिए है सिर्फ 12 मिनट का शुभ मुहूर्त

Holika Dahan 2023: होली का पर्व फाल्गुन माह की पुर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है. इस साल यह पर्व मार्च महीने की शुरूआत में मनाया जाएगा.

डीएनए हिंदी: भारत में प्रमुख रूप से मनाए जाने वाला त्योहार होली (Holi 2023) आने ही वाला है. हिंदू पंचांग के अनुसार, होली (Holi 2023) का पर्व फाल्गुन माह की पुर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, होली का पर्व (Holi 2023) मार्च की शुरूआत में मनाया जाएगा. होली (Holi 2023) मनाने की तारीख को लेकर लोगों के बीच अटकलें देखने को मिल रही है. तो चलिए इस साल मार्च में होली (Holi 2023) मनाने की सही तारीख (Holi 2023 Date) और होलिका दहन (Holika Dahan 2023) के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) के बारे में जानते हैं. 

होली 2023 तारीख (Holi 2023 Date)
साल 2023 में होली का पर्व 6 मार्च को मनाया जाएगा. 6 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन के बाद अगले दिन 7 मार्च को धुलंडी यानी रंगों की होली खेली जाएगी. होलिका दहन प्रदोष व्यापिनि भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि में होता है. होलिक दहन का यह शुभ मुहूर्त 6 मार्च की शाम को है.

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होलिका दहन 2023 शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2023 Shubh Muhurat)
होलिका दहन के लिए विशेष शुभ मुहूर्त 6 मार्च 2023 की शाम को 6 बजकर 26 मिनट से लेकर 6 बजकर 38 मिनट तक रहने वाला है. होलिका दहन का यह शुभ मुहूर्त मात्र 12 मिनट का होगा. ज्योतिषीयों के अनुसार, प्रदोष व्यापिनी भद्रा रहित पूर्णिमा में होलिका दहन किया जाना चाहिए. यह तिथि 6 मार्च सोमवार को शाम 4 बजकर 18 मिनट से शुरू हो जाएगी. इस प्रदोष व्यापिनी फाल्गुनी पूर्णिमा का समय भारत में 7 मार्च को शाम 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. होलिका दहन के बाद होली पर धुलंडी का त्योहार 7 मार्च को मनाया जाएगा.

होलिका दहन की कथा (Holika Dahan Ki Katha)
धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, होली का पर्व मनाने के पीछे  देवी होलिका और प्रह्लाद से जुड़ी कहानी है. दरअसल, राक्षसों के राजा हिरयण्यकश्यप देवताओं के शत्रु थे. जबकि उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान श्री विष्णु का परम भक्त था. हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति छोड़ने के लिए कई बार समझाया था. हालांकि वह नहीं माना और हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए कई प्रयास किए. 

भक्त प्रह्लाद पर भगवान श्री विष्णु का आशीर्वाद था जिस वजह से प्रह्लाद कई यातनाओं के बाद भी नहीं मरें. ऐसे में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठने को कहा. क्योंकि, होलिका को ऐसा वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि से नहीं जलेगी. होलिका जब भक्त प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी तो भगवान विष्णु की कृपा से पह्लाद बच गया और होलिका जल गई. तभी से यह होली का पर्व मनाया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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