Sita Navami 2023: सीता नवमी व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद, जानिए सही डेट, शुभ मुहूर्त-पूजा विधि व महत्व

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 25, 2023, 11:24 AM IST

सीता नवमी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

Sita Navami 2023: इस बार सीता नवमी कब मनाई जाएगी और इसका धार्मिक महत्व व पूजा विधि क्या है जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

डीएनए हिंदी: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैखाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी (Sita Navami 2023) का पावन पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन जनकनंदिनी माता सीता (Maa Sita)  का प्राकट्य हुआ था, इसीलिए इस तिथि को सीता नवमी या जानकी जयंती के नाम से जाना जाता है. सीता नवमी (Sita Navami) के दिन विधि-विधान से माता सीता और भगवान राम की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है.

इस बार सीता नवमी का पावन पर्व 29 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा, तो आइए जानते हैं सीता नवमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में...

सीता नवमी शुभ मुहूर्त (Sita Navami 2023 Shubh Muhurat) 

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्लपक्ष की जिस नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व पड़ता है, वह इस बार 28 अप्रैल 2023 को सायंकाल 04:01 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 29 अप्रैल 2023 को सायंकाल 06:22 बजे समाप्त होगा. इसलिए उदया तिथि के अनुसार सीता नवमी इस साल 29 अप्रैल 2023 को ही मनाई जाएगी. 

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पंचांग के अनुसार इस बार सीता नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल को प्रात:काल 10:59 से दोपहर 01:38 बजे तक रहेगा. 

पूजन विधि (Sita Navami 2023 Puja Vidhi) 

इस दिन माता जानकी की पूजा करने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और इसके बाद तन और मन से पवित्र होने के बाद अपने घर के ईशान कोण में एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर माता जानकी और भगवान राम की प्रतिमा या फोटो लगाएं. इसके बाद सियाराम को फल, फूल, चंदन, आदि अर्पित करें और फिर शुद्ध घी का दीया जलाएं और माता जानकी के मंत्र ‘ॐ सीतायै नमः’ का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें. इसके अलावा सीता नवमी के दिन माता जानकी की पूजा में विशेष रूप से लाल रंग के फूल और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें.

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सीता नवमी की पूजा का महत्व (Sita Navami Significance) 

हधार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस पावन तिथि पर राजा जनक की पुत्री माता सीता का प्राकट्य हुआ था, उस दिन विधि-विधान से देवी सीता की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा हो या फिर जिन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलने में दिक्कतें आ रही हो तो उन्हें इस दिन विशेष रूप से पूजा एवं व्रत करना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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