Kalashtami 2024: सावन में कब रखा जाएगा कालाष्टमी का व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Abhay Sharma | Updated:Jul 22, 2024, 07:53 AM IST

Kalashtami 2024

Kalashtami 2024: कालाष्टमी हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. यहां जानें इस बार सावन (Sawan 2024) के महीने में कब रखा जाएगा कालाष्टमी व्रत और पूजा विधि क्या है...

हिंदू धर्म में भगवान काल भैरव (Kaal Bhairav) की पूजा के लिए समर्पित कालाष्टमी (Kalashtami) तिथि को सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कालाष्टमी हर (Kalashtami Date) माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ तिथि  में पूजा-पाठ करने से दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिलता है. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन को कालाष्टमी (Kalashtami) इसलिए कहते हैं क्योंकि इस तिथि के दिन भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे. मान्यता के अनुसार यह शुभ तिथि भगवान भैरव से असीम शक्ति प्राप्त करने की तिथि मानी जाती है. इसलिए इस दिन पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है.

सावन में किस दिन रखा जाएगा कालाष्टमी का व्रत (Kalashtami Date And Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार अष्टमी तिथि 27 जुलाई, 2024 को रात 9 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन 28 जुलाई, 2024 को रात 7 बजकर 27 पर होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार कालाष्टमी 28 जुलाई को मनाया जाएगा.  


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जानें मासिक कालाष्टमी की पूजा विधि (Kalashtami Puja Vidhi) 
इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें. इसके बाद पूजा कक्ष को अच्छी तरह से साफ करें और फिर एक वेदी पर भैरव बाबा की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद पंचामृत से उनका अभिषेक करें और इत्र लगाएं और फूलों की माला अर्पित करें साथ ही चंदन का तिलक लगाएं. 

इसके बाद फिर भगवान काल भैरव को  फल, मिठाई, घर पर बने प्रसाद का भोग लगाएं और भगवान के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काल भैरव अष्टक करें. आखिर में आरती से पूजा को समाप्त करें और अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें. अगले दिन व्रती इसी प्रसाद से अपना व्रत खोल सकते हैं. इसके अलावा जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं और उनकी मदद करें. 

भैरव बाबा प्रसन्न कैसे करें-
इस दिन भगवान बटुक भैरव को कच्चा दूध अर्पित करें और काल भैरव को शराब अर्पित करें. बता दें कि कई लोग इस दिन उन्हें शराब का भोग लगाते हैं. इसके अलावा हलुआ, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं. इमरती, जलेबी और 5 तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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