Kalashtami 2023: आज है आषाढ़ माह कालाष्टमी व्रत, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

Written By Aman Maheshwari | Updated: Jun 10, 2023, 05:57 AM IST

Kalashtami 2023

Kalashtami 2023: कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव की पूजा की जाती है. इस दिन शिवालयों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है.

डीएनए हिंदीः हिंदू पंचांग के अनुसार, सभी तिथियों का देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए विशेष महत्व होता है. पंचांग के मुताबिक प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत (Kalashtami 2023) होता है. कालाष्टमी व्रत (Kalashtami 2023) के दिन भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव की पूजा की जाती है. अब आषाढ़ माह का कालाष्टमी व्रत (Kalashtami 2023) आने वाला है. कालाष्टमी के दिन शिवालयों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दिन काल भैरव की पूजा अर्चना से सभी दोष व पाप कट जाते है. तो चलिए आपको आषाढ़ माह की कालाष्टमी (Ashadha Kalashtami 2023) की तारीख और पूजा विधि के बारे में बताते हैं.

आषाढ़ कालाष्टमी व्रत तिथि (Ashadha Kalashtami 2023)
कालाष्टमी व्रत कृष्ण पक्ष अष्टमी को रखा जाता है. आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 जून को दोपहर 02ः01 से हो रही है जिसका समापन 11 जून को दोपहर 12ः05 पर होगा. ऐसे में उदय तिथि को महत्व देते हुए कालाष्टमी व्रत 10 जून 2023 को रखा जाएगा.

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कालाष्टमी व्रत पूजा विधि (Kalashtami Vrat Puja Vidhi)
- कालाष्टमी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. स्नान आदि के बाद भैरव बाबा के मंदिर जाए या घर पर ही उनके प्रतिमा स्थापित कर चौकी लगाएं.
- कालाष्टमी व्रक की पूजा में शिव परिवार की तस्वीर को भी स्थापित करें और विधि विधान से पूजा करें.
- भगवान के समक्ष दीपक जलाएं और आरती कर भगवान को भोग लगाएं. भगवान को दूध, दही, फल, फूल आदि अर्पित करें.
- पूजा में काल भैरव के मंत्रों का जाप करें.
ॐ कालभैरवाय नम:
ॐ भयहरणं च भैरव:
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्

कालाष्टमी व्रत का महत्व (Kalashtami Vrat Significance)
कालाष्टमी व्रत करने से समस्त रोगों और दोषों से छुटकारा मिलता है. कालाष्टमी व्रत में भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव की पूजा की जाती है. ऐसे में यह व्रत करने से भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है. कालाष्टमी व्रत करने से कुंडली से राहु-केतु दोष भी दूर होते हैं. काल भैरव की पूजा से शत्रुओं से भी छुटकारा मिलता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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