Diwali 2023: धनतेरस से यम द्वितीया तक, क्या है दिवाली के 5 दिनों का महत्व? जानें सही डेट

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 29, 2023, 07:43 AM IST

धनतेरस से यम द्वितीया तक, क्या है दिवाली के 5 दिनों का महत्व? जानें सही डेट

Diwali 2023 Date: पांच दिवसीय त्योहार दिवाली धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज को समाप्त होता है. यहां जानिए इन 5 दिनों का महत्व..

डीएनए हिंदी: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या (Kartik Maas Amavasya) तिथि को मनाई जाती है और इस बार ये शुभ तिथि 12 नवंबर को पड़ रही है. इस दिन मां लक्ष्मी (Lakshmi Puja) का विशेष पूजन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन रात्रि के समय देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा शुभ मुहूर्त में करने से घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है. 5 दिन का ये (Diwali 2023) महत्वपूर्ण त्योहार सनातन धर्म में खास महत्व रखता है. बता दें कि धनतेरस से शुरू होकर यह त्योहार भाई दूज पर समाप्त होता है. ऐसे में दीपावली की तैयारियां घर से लेकर (Diwali 2023 Date) बाजार तक शुरू हो चुकी हैं. आइए जानते हैं दिवाली पर धनतेरस से लेकर भाई दूज तक सभी दिनों का महत्व क्या है...

धनतेरस (Dhanteras) -  10 नवंबर 2023

दिवाली  की शुभ शुरुआत धनतेरस से होती है, जिसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं. इस दिन यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा का महत्व है.  मान्यता है की इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुए थे. जिसके कारण इस दिन का नाम 'धनतेरस' पड़ा और इस दिन बर्तन, धातु व आभूषण खरीदने की परंपरा शुरू हुई.

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2023)- 12 नवंबर 2023 

दूसरे दिन नरक चतुर्दशी मनाया जाता है, जिसे रूप चौदस और काली चौदस कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन नरकासुर का वध कर भगवान श्रीकृष्ण ने 16,100 कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. इसलिए इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है. इसके अलावा इस दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान कराने से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.

दीपावली (Diwali 2023 Date) - 12 नवंबर 2023

तीसरे दिन 'दीपावली' मनाया जाता है और ये मुख्य पर्व होता है. मान्यता है की इस दिन भगवान राम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर घर लौटे थे. श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने घर-घर दीप जला कर पूरी अयोध्या को रोशन कर दिया था, तभी से दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई. इसके अलावा धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है और इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए.

अन्नकूट और गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) - 14 नवंबर 2023

दिवाली के बाद यानी चौथे दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होती है, जिसे पड़वा या प्रतिपदा भी कहते हैं. इस दिन ख़ासतौर से घर के पालतू बैल, गाय, बकरी आदि को अच्छे से स्नान कराकर उन्हें सजाया जाता है और फिर इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनका पूजन कर पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन त्रेतायुग में जब इन्द्रदेव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलधार बारिश शुरू कर दी थी, तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों को गोवर्धन की छांव में सुरक्षित किया और तभी से इस दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा भी चली आ रही है.

भाई दूज और यम द्वितीया (Bhai Dooj OR Yam Dwitiya) 15 नवंबर 2023 

पांचवां दिन और अंतिम  दिन भाई दूज और यम द्वितीया मनाया  जाता है. यह खास दिन भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने और भाई की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है. मान्यता है की इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना जी से मिलने के लिए उनके घर आए थे और यमुना जी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया और यह वचन लिया कि इस दिन हर साल वे अपनी बहन के घर भोजन के लिए आएंगे. कहा जाता है कि इस दिन जो बहन अपने भाई को आमंत्रित कर तिलक करके भोजन कराएगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी और उसके जीवन में खुशियां आएंगी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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