Kartik Maas 2024: दान, ध्यान, स्नान और अनुष्ठान व व्रत के लिए खास है कार्तिक मास, जानें व्रत और त्योहार की पूरी लिस्ट

Written By नितिन शर्मा | Updated: Oct 18, 2024, 01:01 PM IST

कार्तिक मास में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. इसी माह में चार माह बाद भगवान विष्णु अपनी चिर निंद्रा से उठते हैं. इसी के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होती है.

Kartik Maas 2024: हिंदू धर्म में कार्तिक माह को विशेष माना जाता है. हिंदू पंचांग में यह साल का आठवां औश्र चतुर्मास का अंतिम महीना होता है. इस मास में कल्पवास से लेकर गंगा स्नान तक का विशेष महत्व है. इस माह में दान, स्नान और ध्यान से लेकर व्रत तक को महत्वपूर्ण माना जाता है. इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है. व्यक्ति के हर पाप और कष्ट कट जाते हैं. इस महीने में किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं. भगवान की सीधी कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कार्तिक माह में स्नान, दान, ध्यान से लेकर इस माह में आने वाले त्योहार और व्रत तक की पूरी लिस्ट...

18 से शुरू हो जाएगा स्नान-ध्यान

इस साल 18 अक्टूबर 2024 से कार्तिक मास की शुरुआत हो गई है. इसमें हर दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा अर्चना का विधान है. हर दिन शाम के समय तुलसी माता की पूजा के साथ ही दीपक जलाने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. वहीं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान कर तुलसी को जल अर्पित करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. व्यक्ति के मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं. 

कार्तिक मास में ये हैं व्रत और त्योहार

तिथि  -                          पर्व-त्योहार
18 अक्टूबर    -           अशून्य शयन व्रत
20 अक्टूबर   -            करवा चौथ
24 अक्टूबर   -            अहोई अष्टमी
28 अक्टूबर   -            रंभा एकादशी
30 अक्टूबर   -            हनुमान जयंती
31 अक्टूबर -             दीपावली 
01 नवंबर   -              स्नान दान की अमावस्या
02 नवंबर     -            अन्नकूट
03 नवंबर   -              यम द्वितीया व चित्रगुप्त पूजा
05 नवंबर  -               विनायकी गणेश चतुर्थी और नहाय खाय
06 नवंबर   -              खरना
07 नवंबर   -             अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ
08 नवंबर   -             उदयाचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ
09 नवंबर   -             गोपाष्टमी
10 नवंबर   -             अक्षय नवमी
12 नवंबर   -             हरि प्रबोधनी एकादशी
13 नवंबर   -             प्रदोष व्रत
14 नवंबर   -            बैकुंठ चतुर्दशी
15 नवंबर  -            स्नानदान व व्रत की पूर्णिमा व देव दीपावली महोत्सव
(कार्तिक मास का समापन)

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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