Kalashtami Vrat 2022: कब है भैरव देवता का व्रत, पूजन विधि, किस मंत्र उच्चारण से कष्ट होंगे दूर

सुमन अग्रवाल | Updated:Oct 14, 2022, 10:27 AM IST

kartik महीने में कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है और भैवर देवता की पूजा होती है, जानें कैसे रखें व्रत और क्या करें, कौन सा मंत्र पाठ करें

डीएनए हिंदी: Kalashtami Vrat 2022 Puja, Vidhi, Shubh Muhurat, Mantra- कालाष्टमी व्रत भगवान भैरव (Kalashtami Vrat Lord Bhairav) के भक्तों के लिए खास है, हर महीने इसका व्रत रखा जाता है, प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह मनाई जाती है. भैरव के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और कालाष्टमी की पूजा भी करते हैं. इस महीने 17 अक्टूबर को यह व्रत रखा जाएगा. उस दिन अहोई अष्टमी का व्रत भी है.

कालाष्टमी व्रत में भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की पूजा की जाती है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक,भैरव के तीन रूप हैं- काल भैरव, बटुक भैरव और रूरू भैरव हैं. इस दिन इनके काल भैरव स्वरूप की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि इससे जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं, सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

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कालाष्टमी तिथि और मुहूर्त (Kalashtami Shubh Samay, Tithi) 

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 अक्टूबर को 09:29 AM से शुरू होगी और अगले दिन 18 अक्टूबर मंगलवार को 11:57 AM पर समाप्त होगी. कालाष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा और इसका पारण 18 अक्टूबर मंगलवार को किया जाएगा.

कैसे करें पूजा (Puja Vidhi) 

कार्तिक माह की अष्टमी तिथि को सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करके साफ कपड़े  साफ कपड़ा पहन लें.उसके बाद  शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें. घर पर भी शिव पार्वती और गणेश की पूजा कर सकते हैं. पूजा के दिन काल भैरव को पूजन सामग्री अर्पित करें तथा दीपक जलाएं. उसके बाद उनकी स्तुति करें और मंत्र पाठ भी करें. इसके बाद आरती करें. मान्यता है कि इससे समस्त भय को हरने वाले बाबा काल भैरव की कृपा प्राप्त होगी. घर में  धन संपत्ति आएगी और सारे कष्ट दूर हो जाएंगे. 

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कालाष्टमी व्रत मंत्र (Kalashtami Mantra) 

शिवपुराण के अनुसार, कालाष्टमी व्रत में कालभैरव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप करना बेहद फलदायी माना गया है.

मंत्र:

अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!

अन्य मंत्र:

ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।
 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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