Ganga Snan Mela: महाभारत से जुड़ा है कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान मेले का इतिहास, जानें कब से होता है शुरू

नितिन शर्मा | Updated:Nov 25, 2023, 09:15 AM IST

कार्तिक माह की पूर्णिमा पर यूपी के गढ़ स्थित गंगा जी किनारे मेले का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है. यहां हर साल एक माह तक मेला लगता है, जो दीपदान और पूर्णिमा के अगले दिन हटाया जाता है.

डीएनए हिंदी: कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है. इस बार गंगा स्नान 27 नवंबर 2023 सोमवार का है. इस दिन हापुड़ के गढ़ में गंगा किनारे बड़ा मेले लगता है. इस मेले की तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है. यह गंगा स्नान तक रहता है. गंगा स्नान से लेकर लगने वाले मेले का संबंध महाभारत और भगवान श्री कृष्ण से है. इसकी शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण ने ही दीपदान प्रथा से कराई थी. द्वापर युग में 18 दिनों तक चले महाभारत युद्ध में पाड़वों समेत सिर्फ गिने चुने लोग ही बचे थे. युद्ध में मारे गए योद्धाओं और सैनिकों को लेकर पांडवों का मन दुखी होने लगा तो भगवान श्री कृष्ण उन्हें गढ़ लेकर आए थे. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीकृष्ण ने पांडवों संग धार्मिक अनुष्ठानों कराने के साथ दीपदान कराया था. इसी के बाद यहां मेले का आयोजन किया गया. इसी के बाद से हर साल अपनों को श्रद्धांजलि देने से दीपदान देने की प्रथा शुरू हुई. 

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यह है इतिहास और पौराणिक कहानी

इतिहास के अनुसार, कौरव और पांडवों के बीच महाभारत युद्ध में करोड़ों योद्ध और सैनिक मारे गए थे. इनमें पांडवों के सगे संबंधी भी शामिल थे. युद्ध के बाद पांडवों को जब राजपाट की जिम्मेदारी मिलने लगी तो उनका मन व्याकुल हो उठा. उनकी इस पीड़ा को देखते हुए श्रीकृष्ण को भी चिंता होने लगी. भगवान ने ऋषि मुनियों से विचार विमर्श किया. कार्तिक माह में दिवाली के बाद श्री कृष्ण पांडवों को लेकर यूपी के हापुड़ स्थित गढ़ में गंगा स्नान के लिए लेकर पहुंचे. यहां ​कई दिनों तक पांडव डेरा डालकर रहे और फिर कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान किया. अनुष्ठान कर दीपदान किया. 

चतुर्दशी की शाम को किया जाता है दीपदान

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि श्रीकृष्ण के आदेश पर पांडवों ने कार्तिक माह के चतुर्दशी की शाम को महाभारत में जान गंवाने वालों की आत्मा शांति के लिए पांडवों ने गंगा जी में दीपदान किया. इससे वीरगति को प्राप्त हुए योद्धाओं की आत्मा को शांति प्राप्त हुई. पांडवों का व्याकुल मन भी शांत हुआ. 

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कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद की वापसी

पांडवों ने दीपदान के अगले दिन कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा जी में डुबकी लगाई. इसके बाद वह श्रीकृष्ण के साथ लौट गए थे. इसी के बाद गढ़ में दीपदान से लेकर कार्तिक माह में मेले आयोजन किया जाता है. यहां मेला गंगा किनाने कार्तिक महीने की शुरुआत में लगता है. यहां लोग टेंट लगाकर रहते हैं और गंगा जी में स्नान करते हैं. कार्तिक माह की पूर्णिमा यानी गंगा स्नान के बाद घर लौट जाते हैं.

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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