डीएनए हिंदीः उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में करवा चौथ पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला सबसे प्रमुख त्योहार है. इस व्रत के नियम काफी सख्त होते हैं और इन्हें बड़ी श्रद्धा से करना पड़ता है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को करवा चौथ का निर्जला व्रत रखा जाता है. चांद निकलने पर सबसे पहले चांद को अर्घ्य देकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं.
इस पावन पर्व की मुख्य परंपरा पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को छलनी में चंद्रमा और पति का चेहरा देखकर व्रत खोलना है. व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है और चांद दिखने तक नहीं तोड़ा जाता.
करवा चौथ व्रत का शिव योग (Karva Chauth Vrat Shiv muhurat) कब है?
इस साल Karwa Chauth 2023 Date के अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि व शिव योग का शुभ संयोग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग 1 नवंबर को सुबह 06 बजकर 33 मिनट से प्रारंभ होगा और अगले दिन 2 नवंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगा.
करवा चौथ पूजन सामग्री और विधि
इस व्रत में पूजा सामग्री का विशेष महत्व है. पूजा के समय थाली में मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन, पान, कलश, चंदन, फूल, हल्दी, चावल, मिठाई, कच्चा, दूध, दही, देसी घी, शहद, शक्कर का बूरा, रोली, कुमकुम, मौली होना जरूरी है.
करवा चौथ के नियम
करवा चौथ मनाने के लिए 13 विवाहित महिलाओं को सुपारी देकर भोजन के लिए आमंत्रित करें. करवा चौथ का व्रत रखने वाली 13 महिलाएं होनी चाहिए. करवा चौथ की सुबह स्नान करें और नई साड़ी पहनें. सास द्वारा भेजा गई सरगी खाकर व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जला व्रत रखें. इस दिन हलवा और पूड़ी पकवान जरूर बनाये जाते हैं. शाम के समय व्रत रखकर सभी 13 सुहागिन महिलाओं को एक साथ शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए. करवा चौथ की कथा सुनने के बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें और पानी पीकर व्रत खोलें. फिर एक प्लेट में 13 जगह 4-4 पूड़ी पर हलवा रखें. थाली में कुमकुम डालें और चावल डालें. थाली गणेश जी को अर्पित करें. यह खीर 13 स्त्रियों को भोजन से पहले खिलाएं. इसके बाद पहले थाली में खाना सास को परोसें. इसके साथ ही उन्हें मीठे उपहार भी दें. यदि सास मौजूद नहीं है तो घर की बुजुर्ग महिला को ये व्यंजन और वस्तुएं उपहार में देकर उनका आशीर्वाद लें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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