Karwa Chauth: करवाचौथ पर छलनी से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा, ये है वजह

ऋतु सिंह | Updated:Sep 21, 2022, 03:05 PM IST

करवाचौथ पर छलनी से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा

Karwa Chauth :करवा चौथ महिलाएं निर्जला व्रत रखकर रात में छलनी से पहले चांद फिर पति का चेहर देखकर व्रत खोलती हैं. क्यों?

डीएन हिंदीः क्या आपको पता है कि करवाचौथ पर पति को पत्निां छलनी से क्यों देखती हैं. छलनी का करवाचौथ में बहुत महत्व माना गया है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा का जिक्र किया जाता है.

डीएन हिंदीः Karwa Chauth Importance: क्या आपको पता है कि करवाचौथ पर पति को पत्निां छलनी से क्यों देखती हैं. छलनी का करवाचौथ में बहुत महत्व माना गया है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा का जिक्र किया जाता है.

करवा चौथ पर छलनी का महत्व
करवा चौथ की पूजा की थाली में छलनी का काफी महत्व होता है. महिलाएं पूजा की थाली के साथ छलनी को भी सजाती हैं. फिर जब शाम में वे व्रत खोलती हैं तो इसी छलनी से पति का चेहरा देखती हैं. इस दौरान वे छलनी में दीपक भी रखती हैं. छलनी से पति का मुंह देखने के बाद पति अपने हाथों से पत्नी को पानी पिलाते हैं और फिर यह व्रत पूर्ण हो जाता है. इस व्रत में छलनी का विशेष रूप से महत्व है. 
 
छलनी के प्रयोग के पीछे की पौराणिक कथा
करवा चौथ पर छलनी के इस्तेमाल की एक पौराणिक कथा है. प्राचीनकाल में पतिव्रता और बेहद खूबसूरत वीरवती रहती थीं. उनके सात भाई थे. जब वीरवती का विवाह हुआ तो उन्होंने करवा चौथ का व्रत रखा. लेकिन निर्जला व्रत रखने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने लगी.

जब भाईयों ने यह देखा तो उन्होंने एक तरकीब निकाली और चांद निकलने से पहले ही एक भाई पेड़ पर बैठकर छलनी में दीपकर रखकर बहन से कहने लगा देखो चांद निकल आया है. वीरवती ने जब छलनी के पीछे वाले दीपक को देखा तो उसे ही चांद समझ लिया और अपना व्रत खोल दिया. इसके बाद वीरवती के पति का निधन हो गया. जब वीरवती को सच्चाई का पता  चला तो वे काफी दुखी हुई और पति के मृत शरीर को अपने पास ही रख लिया. 
 
करवा चौथ के व्रत के प्रताप से जीवित हुआ पति
इसके बाद एक साल बार जब करवा चौथ का दिन आया तो वीरवती ने एक बार फिर विधि-पूर्वकर करवा चौथ का व्रत रखा और पूरे नियम का पालन किया. इससे मां प्रसन्न हो गई और वीरवती के पति को जीवित कर दिया. यही कारण है कि सुहागिन महिलाएं छलनी और दीपक को लेकर उगते चांद को देखती हैं ताकि उनके साथ किसी तरह का छल न हो सके और उनकी पूजा विधि-पूर्वक संपन्न हो सके.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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