Karwa Chauth Vrat Katha: व्रत के दिन जरूर सुनें करवा माता की ये कथा, मिलेगा पतिव्रता का वरदान

सुमन अग्रवाल | Updated:Oct 13, 2022, 08:27 AM IST

Karwa chauth के दिन करवा माता की ये कहानी जरूर सुनें, इससे आपको भी पतिव्रता का वरदान मिलेगा. कथा सुनते वक्त रखें इस बात का ध्यान

डीएनए हिंदी: Karwa Chauth Vrat Katha Hindi- 13 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat 2022) मनाया जा रहा है, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की तिथि में यह व्रत मनाया जाता है. पूरे दिन अपने पति के लिए निर्जला रहकर पत्नियां ये व्रत रखती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना भी करती हैं. मिट्टी के करवे पर मौली बांधकर रोली से एक स्वास्तिक बनाकर उसपर रोली से तेरह बिन्दियां लगाकर चन्द्रमा को अर्घ्य देती हैं. इससे पहले इस व्रत की कथा सुनी जाती है, यह कथा सुनने से ही यह व्रत पूरा होता है, आईए जानते हैं यह व्रत की कहानी क्या है 

कैसे सुनें कथा
 
महिलाएं व्रत के दिन हाथ में गेहूं के तेरह दानें लेकर कहानी कहती हैं और कुछ सुनती हैं. कहानी सुनने के बाद कुछ गेहूं के दानें लोटे में डालते हैं और कुछ दानें साड़ी के पल्ले में बांध लेती हैं.रात को चांद को देखकर लोटे का जल सूरज को देती हैं. एक थाली में फल, मिठाई, चावल भरा हुआ खांड का करवा और रुपए रखकर बायना निकालकर अपनी सासू मां या फिर घर की बड़ी बहू यानी जेठानी या भाभी को देती हैं. 

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धार्मिक कथा के अनुसार एक गांव में करवा देवी अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थी. एक दिन करवा के पति स्नान के लिए नदी में गए तो मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और अंदर की ओर खींचने लगा. रक्षा के लिए उसने अपनी पत्नी को पुकारा. पति को मृत्यु के मुंह में जाता देख करवा ने एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को पेड़ से बांध दिया.

पतिव्रत पत्नी करवा के जाल में मगरमच्छ ऐसा बंधा की हिलना भी मुश्किल हो गया. पति की हालात बहुत नाजुक थी. इसके बाद करवा देवी ने यमराज को पुकारा और पति की रक्षा कर जीवनदान और मगरमच्छ को मृत्यु देने का आग्रह किया. यमराज ने कहा अभी मगरमच्छ की आयु शेष है लेकिन तुम्हारे पति के यमलोक जाने का समय आ चुका है. करवा क्रोधित हो गई और ऐसा न करने पर यमराज को श्राप देने की चेतावनी दे दी.

करवा देवी ने दिया जीवनदान (Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi)

यमराज ने करवा देवी के सतीत्व से प्रभावित होकर उसके पति की आयु में वृद्धि कर दी और उसे जीवनदान दे दिया. वहीं मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया. कहते हैं इस घटना के दिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी. मान्यता है इस दिन जो सुहागिनें पत्नी धर्म निभाते हुए निर्जला व्रत कर सच्चे मन से करवा माता की पूजा करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है. उसके बाद से ही करवा चौथ व्रत की परंपरा शुरू हो गई. इसके बाद गणेश जी की भी कथा और कहानी सुनी जाती है 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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