Kawad Yatra 2023: 4 तरह की कांवड़ यात्रा में दांडी कांवड़ होती है सबसे कठिन, जान लें सबके नियम और महत्व

Written By Aman Maheshwari | Updated: Jul 07, 2023, 10:43 AM IST

Kawad Yatra 2023

Kawad Yatra 2023: भक्त पैदल यात्रा कर कांवड़ लेकर आते हैं और भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं. हर साल लाखों की संख्या में कांवडियां हरिद्वार से जल भरकर लाते हैं.

डीएनए हिंदीः सावन में शिव भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और सोमवार का व्रत रखते हैं. सावन में कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra 2023) भी की जाती है. भक्त पैदल यात्रा कर कांवड़ (Kawad Yatra 2023) लेकर आते हैं और भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं. हर साल लाखों की संख्या में कांवडियां (Kawad Yatra 2023) हरिद्वार से जल भरकर लाते हैं. पुराणों में भी कांवड़ यात्रा करने के लाभ (Kawad Yatra 2023 Benefits) के बारे में बताया गया है.

कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra 2023) करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और भगवान शिव की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कावंड़ यात्रा के चार प्रकार (Kawad Yatra 2023 Type) होते हैं. इन सभी के अलग-अलग नियम होते हैं. आज आपको कावंड़ यात्रा के चार प्रकारों और इनके नियमों (Kawad Yatra 2023 Rules) के बारे में बताते हैं. इन सभी में से सबसे मुश्किल दांडी कांवड़ यात्रा होती है.

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कांवड़ यात्रा के नियम (Kawad Yatra 2023 Niyam)
- कावंड़ यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए. नशा, मांस मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए. कांवड़ यात्रा पैदल और संभव हो तो नंंगे पाव करनी चाहिए.
- कांवड़ यात्रा कर गंगाजल भरा जाता है. गंगौत्री, काशी और वनारस से लोग जल भरते हैं. हालांकि सबसे ज्यादा महत्व हरिद्वार से जल लाने का माना जाता है.
- किसी भी प्रकार की चमड़े की चीज को यात्रा पर नहीं ले जाना चाहिए. चमड़े के पर्स, जूते और बेल्ट को साथ नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से जीव हत्या का पाप लगता है.
- यात्रा के दौरान शिव के मंत्रों या भगवान शिव के जयकारों का उच्चारण करते रहना चाहिए. कांवड़ को जमीन पर भी नहीं रख सकते हैं. इसे हमेशा स्टैंड पर ही लटकाकार रखें.

कांवड़ यात्रा के प्रकार और इनके खास नियम (Kawad Yatra Niyam And Prakar)
दांडी कांवड़ यात्रा

यह कांवड़ यात्रा सबसे कठिन होती है. इस यात्रा में भक्त घाट से शिवालय तक दंड विधि यानी लेटकर जल लाता है. वह रास्ते को अपने शरीर से लेटकर पूरा करता है. इस यात्रा में बहुत मेहनत और समय लगता है.

 

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खड़ी कांवड़ यात्रा
इस कांवड़ यात्रा में कांवड़ लेकर लगातार चलना होता है. खड़ी कांवड़ यात्रा में कांवड़ को जमीन पर नहीं रख सकते हैं. इस कांवड़ यात्रा में कावंड़ियां की मदद के लिए दो तीन लोग होते हैं. जब एक कावंड़ियां आराम करता है तो दूसरा कांवड़ लेकर चलने की स्थिति में हिलता रहता है.

डाक कावंड़
डाक कावंड़ में कई सारे लोग एक साथ मिलकर जल लाते हैं. इस यात्रा में लगातार जल लेकर चलना होता है. यह लोग जल चढ़ाने के बाद ही रुकते हैं. इस यात्रा के लिए रास्ता खाली करा दिया जाता है.

सामान्य कावंड़ यात्रा
सामान्य कांवड़ यात्रा में कावंडियां जब चाहे आराम कर सकता है. वह आराम करने के बाद फिर से अपनी यात्रा शुरू कर सकता है. हरिद्वार में लाखों की संख्या में लोग कांवड़ लेने के लिए आते हैं. अब लोग गाड़ी और बाइकों पर भी जल लेने जाते हैं. यह लोग भी जल भरकर शिवालयों में चढ़ाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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