डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का विशेष महत्व होता है. यह तिथि ग्रहों के राजा सूर्यदेव को समर्पित होती है. संक्रांति के दिन पूजा पाठ और स्नान दान किया जाता है. इस दिन गंगा जी में स्नान करने मात्र से ही सभी पाप और दोष से मुक्ति मिल जाती है. ज्योतिष के अनुसार, सूर्य देव साल भर राशियों में परिर्वतन करते रहते हैं. इससे लोगों का भाग्य जागृत होता है, लेकिन सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास की शुरुआत हो जाती है. इस दौरान शुभ कार्य करना निषेध माना जाता है. इन्हें करने पर पुण्य प्राप्त नहीं हो पाता. वहीं माना जाता है कि व्यक्ति के जीवन में परेशानी और बाधाएं आती है. आइए जानते हैं क्या है खरमास, कब से हो रहा है शुरू और इसमें क्या नहीं करना चाहिए...
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सूर्य के गोचर पर 30 दिनों के लिए लगता है खरमास
ज्योतिषाचार्य की मानें तो सूर्य देव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं. उनके प्रभाव से राशि और जातकों पर शुभ और अशुभ दोनों ही प्रभाव पड़ते हैं. वहीं सूर्य धुन और मीन राशि में परिर्वतन गोचर करने पर सूर्य देव के प्रभाव से धुन और मीन के स्वामी गुरु बृहस्पति प्रभाव हीन हो जाते हैं. इसी के चलते इन राशियों में रहने के दौरान खरमास लगा जाता है. खरमास पूरे एक महीने के लिए होता है. इस दौरान सभी शुभ कार्यों पर अंकुश लग जाता है.
इस दिन से शुरू हो रहा खरमास
पंचांग के अनुसार, इस बार खरमास 16 दिसंबर से लगाने जा रहा है. 16 दिसंबर 2023 को सूर्य देव शाम के 3 बजकर 58 मिनट पर वृश्चिक राशि से धनु राशि में गोचर करेंगे. इस दिन सूर्य के धुन में प्रवेश करते ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी. इस राशि में सूर्य भगवान 30 दिनों तक रहेंगे. इसके बाद सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में गोचर करेंगे. उनके इस राशि परिवर्तन से सभी शुभ कार्य पर लगी रोक हट जाएगी.
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खरमास में क्या न करें
खरमास के दौरान भूलकर भी कोई शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. इस समय में किए गए कार्य भी अशुभ मानें जाते हैं. इसलिए 16 दिसंबर 2023 से लेकर अगले माह 15 जनवरी 2024 तक शादी, गृह प्रवेश, बच्चों का मुंडन या फिर कोई भी शुभ कार्य करने पर रोक रहती है. इसबीच शुभ कार्य करने पर भी अशुभ फल ही प्राप्त होते हैं.
खरमास कर सकते हैं ये काम
खरमास के दौरान कुंडली में सूर्य भगवान का प्रभाव बहुत प्रबल रहता है. इसलिए खरमास के दौरान सूर्य देव की विशेष पूजा अर्चना की जानी चाहिए. भगवान को रोज सुबह स्नान करने के बाद जल अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा जल में कुमकुम मिलाना चाहिए. सूर्य देव को जल अर्पित करते समय उनका मंत्र जप करना चाहिए. इससे लाभ प्राप्त होता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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