Khatu Shyam Lakkhi Mela: कल से शुरू हुआ खाटूश्यामजी का लक्खी मेला, दरबार में पहुंचने पर इन बातों का रखें ध्यान

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 23, 2023, 01:23 PM IST

बाबा खाटू श्याम

Khatu Shyam Mela 2023: साल 2023 में लक्खी मेला 22 फरवरी से लगेगा. मेले के आयोजन को लेकर सीकर प्रशासन खास तैयारियां कर रहा है.

डीएनए हिंदी: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर में हर साल होली से पहले वार्षिक मेले (Khatu Shyam Mela 2023) का आयोजन किया जाता है. यह मेला फाल्गुन माह की प्रतिपदा से द्वादशी तिथि के बीच लगता है. बाबा खाटू श्याम जी (Khatu Shyam Mela 2023) के इस मेले को लक्खी मेला भी कहते हैं. साल 2023 में लक्खी मेला (Lakhi Mela 2023) 22 फरवरी से लगेगा और 4 मार्च तक चलेगा.

मेले के आयोजन को लेकर सीकर प्रशासन खास तैयारियां कर रहा है. एक बार पहले मंदिर में भगदड़ के कारण तीन महिला श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. इस घटना को ध्यान में रखकर पुलिस प्रशासन भी मेले में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त करेगा. तो चलिए जानते हैं कि लक्खी मेले (Lakhi Mela 2023) के दौरान किन बातों को विशेष ध्यान रखना होगा.

खाटू श्याम के मेले में इन बातों का रखें खास ध्यान
- हर साल भक्त बाबा के निशान यानी झंडे को मंदिर तक ले जाते थे लेकिन इस बार मंदिर समिति की तरफ से नए निर्देश जारी किए गए है. जारी निर्देश के अनुसार, कोई भी भक्त निशान को मंदिर तक नहीं ले जा सकेगा. सभी निशान रो लखदातार मैदान के पास ही एकत्रित कर लिए जाएंगे. 
- मेले के सभी क्षेत्रों की जानकारी के लिए भक्तों को माइक पर जानकारी दी जाएगी. दर्शन के लिए कतार में खड़े भक्तों को वहीं पर पीने के पानी की व्यवस्था की जाएगी. भक्तों को कतार से निकलने की जरूरत नहीं होगी.

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- यदि कोई मेले में भंडारा कराना चाहता है तो उसे प्रशासन की अनुमति लेनी पड़ेगी. इस साल मेले में कोई भी कार्यक्रम करने से पहले प्रशासन की अनुमति अनिवार्य है. भजन, जागरण, आदि कराने के लिए भी मजिस्ट्रेट की ओर से जारी दिशा निर्देश का पालन करना आवश्यक होगा. 
- मेला मैदान में 75 फीट की 14 कतारों से गुजरने के बाद भक्त बाबा के दरबार में पहुंचेंगे. बाबा के दर्शन के लिए मंदिर के अंदर भी 16 कतारों से भक्तों को गुजरना पड़ेगा.
- श्रद्धालुओं का दबाब कम करने और गर्भग्रह के पास भीड़ लगने से रोकने के लिए 8 निकासी द्वार बनाए जाएंगे. भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर के चौक के बाहर पूछताछ केंद्र भी बनाए गए हैं. यहां पर सभी श्रद्धालु पूरी जानकारी ले सकेंगे.

बाबा खाटू श्याम जी (Baba Khatu Shyamji)
भगवान खाटू श्याम पराक्रमी घटोत्कच के पुत्र थे. इनका सही नाम बर्बरीक था. महाभारत काल के दौरान बर्बरीक भी पांडवों और कौरवों के युद्ध में पहुंचे थे. उन्होंने यह निर्णय लिया था कि वह कमजोर पक्ष की ओर से युद्ध करेंगे. श्रीकृष्ण को जब यह पता चला तो उन्होंने सोचा की अगर बर्बरीक ने कौरवों की तरफ से युद्ध किया तो पांडवों की हार हो जाएगी. ऐसे में श्रीकृष्ण ने ब्रह्माण बनकर उनका शीश दान में मांग लिया था. बर्बरीक ने हसंते हुए अपना शीश दान कर दिया था. इसी लिए उन्हें शीश का दानी भी कहा जाता है. श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को यह वरदान दिया की कलयुग में तुम्हारी पूजा मेरे नाम से होगी. आज बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है. 

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