डीएनए हिंदी : Guru Tegh Bahadur Jayanti 2022 की ज़ोर- शोर से तैयारियां चल रही हैं. इस 400वें प्रकाश पर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी लालक़िले से देश को संबोधित करने वाले हैं. प्रकाश पर्व में पंज प्यारे सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं. आइए जानते हैं किन्हें सिख धर्म में पंज प्यारे का दर्जा हासिल है.
खालसा बनने वाले शुरूआती पांच लोगों को कहा गया था पंज प्यारे
सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह(Guru Govind Singh) ने अपने पांच साथियों को सबसे खालसा पंथ में शामिल किया था. यह सिख धर्म के अंतर्गत भाई चारे का पन्थ था. पिता तेग बहादुर की मृत्यु के बाद गुरु गोविन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु माने गए. उस वक़्त देश में मुगल शासकों द्वारा बड़ी मात्रा में लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा था. गुरु तेग बहादुर(Guru Teg Bahadur) ने धर्म परिवर्तन करने से मना कर दिया था जिस वजह से उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया था. गुरु गोविन्द सिंह ने मुगलों से लड़ने के लिए अपने साथियों से कहा और उनसे धर्म की रक्षा की गुहार की. पंज प्यारे वे पांच लोग थे जो सबसे पहले उनका साथ देने के लिए आगे आए. वे पांचो लोग पहले खालसा बने और उनका लक्ष्य धर्म की रक्षा बना.
सिख इतिहास में पंज प्यारों का योगदान
सिख धर्म (Sikhism) को इसके उरूज पर पहुंचाने में पंज प्यारों का ख़ास योगदान है. उन्होंने न केवल युद्ध के मैदान में दुश्मनों का सामना किया बल्कि आंतरिक शुद्धि का भी विशेष खयाल रखा.
कौन थे सबसे शुरुआती पंज प्यारे?
भाई दया सिंह, भाई धरम सिंह, भाई हिम्मत सिंह, भाई मुहकाम सिंह, भाई साहिब सिंह पांच शुरुआती पंज प्यारे थे. इन पांच लोगों ने आखिरी सांस तक सिख धर्म (Sikhism) की रक्षा की.
पंज प्यारे प्रथा(Panj Piyare Tradition)
पहले पांच शुरूआती खालसा के बाद हर पांच खालसा पुरुषों के समूह को पंज प्यारे का दर्जा दिया गया. इन खालसा पुरुषों के लिए कुछ बातों को मानना बेहद ज़रूरी होता है, मसलन वे ख़ास पोशाक पहनेंगे, अपने शरीर के बालों के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करेंगे. खुटा मांस, तम्बाकू या किसी अन्य तरह के नशे का सेवन नहीं करेंगे. आत्मिक शुद्धि पर ध्यान देंगे.
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