Bhairavi Brahmani: कौन थीं श्रीरामकृष्ण परमहंस की तंत्र साधना गुरु भैरवी ब्राह्मणी? जिन्होंने सिखाई थी तंत्र की 64 विद्याएं

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 11, 2023, 05:44 PM IST

कौन थीं श्रीरामकृष्ण परमहंस की तंत्र साधना गुरु भैरवी ब्राह्मणी? 

Ramakrishna Paramahansa की तंत्र साधना गुरु भैरवी ब्राह्मणी अपनी साधना से भैरवी बनीं. उन्होंने श्रीरामकृष्ण को तंत्र की 64 विद्याएं सिखाई थी.

डीएनए हिंदीः Know About Tantra Sadhak Yogeswari Bhairavi Brahmani- साधना और आध्यात्म के क्षेत्र में भारतीय महिलाएं हमेशा पुरषों से दो कदम आगे रही हैं. महिलाओं का आध्यात्म से से जुड़ाव पुरषों के मुकाबले अधिक होता है. श्रीरामकृष्ण परमहंस के बारे में तो लगभग हर कोई जानता है, लेकिन जिन्होंने श्रीरामकृष्ण परमहंस को तंत्र विद्याओं (Ramakrishna Paramahansa Tantra Sadhna Guru)की दीक्षा दी उन्हें बहुत ही कम लोग जानते होंगे. दरअसल श्रीरामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramahansa)  की तंत्र साधिका गुरु एक महिला थीं. वह एक भैरवी और तंत्र विद्या में पारंगत थीं. कहा जाता है उन्होंने श्रीरामकृष्ण को खुद खोजा और उन्हें तंत्र विद्याओं की दीक्षा प्रदान की. उनका नाम योगेश्वरी भैरवी ब्राह्मणी (Yogeswari Bhairavi Brahmani) था. चलिए जानते हैं कौन थीं योगेश्वरी भैरवी ब्राह्मणी और वे कैसे मिलीं श्रीरामकृष्ण से.

कौन थीं भैरवी ब्राह्मणी

भैरवी ब्राह्मणी, ब्राह्मण परिवार में जन्मी और आजीवन कुंवारी रहीं व अपनी साधना से भैरवी बनीं. वह हमेशा अपने साथ रघुवीर शिला रखती थीं और राम के तौर पर उसकी पूजा करती थीं. इसके अलावा वह भगवान शंकर को पति की तरह आराध्य मानती थीं. भैरवी ब्राह्मणी हमेशा भगवा साड़ी में रहती थीं और हाथ में त्रिशूल रखती थीं. वह एक विलक्षण भैरवी थीं यानी वैष्णव होते हुए भी तंत्र की गहरी उपासक थीं. इसके साथ उन्होंने उच्च शक्तियां हासिल की. 

यह भी पढ़ें: कौन थे दुल्ला भट्टी? जानिए लोहड़ी के दिन क्यों सुनाया जाता है उनका किस्सा

इस तरह श्रीरामकृष्ण से मिलीं भैरवी ब्राह्मणी

श्रीरामकृष्ण 25 साल की उम्र में कोलकाता के दक्षिणेश्वर मंदिर परिसर में रहते थे.  एक दिन मंदिर परिसर में फूल तोड़ते हुए उन्होंनें मंदिर के पीछे नाव से एक महिला को उतरते हुए देखा. नव से उतरकर महिला मंदिर में जाकर बैठ गई. ऐसे में जब श्रीरामकृष्ण फूल तोड़कर अपने कमरे में पहुंचे. तो उन्होंने अपने भतीजे से कहा कि वह उस महिला के पास जाए और आदर के साथ उन्हें यहां ले आए.

महिला की उम्र करीब 40 वर्ष थी और उनके चेहरे पर तेज, व्यक्तित्व आभामय और आकर्षण था. श्रीरामकृष्ण को देखते हुए बोलीं मैं तुम्हें ही तलाश रही थी. भैरवी ब्राह्मणी का जन्म 1820 के दशक में हुआ था और वह 1861 के आसपास रामकृष्ण से मिलीं.

यह भी पढ़ें: इस दिन होगी लोहड़ी, जान लें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दुल्ला-भट्टी की कहानी

श्रीरामकृष्ण ने भैरवी ब्राह्मणी को दिया मां का दर्जा

उन्होंने आगे कहा कि जगनमाता की आज्ञा से मुझे तीन लोगों को दीक्षा देनी थी. उसमें से दो को मैं दीक्षा दे चुकी हूं अब तीसरे तुम हो. मुझे यह मालूम था कि तुम गंगा किनारे ही मिलोगे. श्रीरामकृष्ण भी तब तक गहरी साधना में लीन होना सीख चुके थे और उन्हें यह आभास हो गया था कि भैरवी को उनका गुरु बनाकर भेजा गया है, ताकि वह उन्हें तंत्र विद्याओं से परिचित करा सकें. जिसके बाद  श्रीरामकृष्ण ने उन्हें मां मान लिया और उन्होंने बेटा.

श्रीरामकृष्ण को सिखाई तंत्र की 64 विद्याएं 

भैरवी ब्राह्मणी ने श्रीरामकृष्ण को तंत्र की 64 विद्याएं सिखाईं और उनका इस्तेमाल लोगों की सेवा में करने को कहा. भैरवी ब्राह्मणी की अपार शक्तियों और विद्वता का जिक्र श्रीरामकृष्ण परमहंस से जुड़ी कई किताबों में मिलता है. उन्होंने ही सबसे पहले श्रीरामकृष्ण को भगवान का अवतार बताया था. वह कोई साधारण साधिका नहीं थीं. उनके जरिए श्रीरामकृष्ण को मिली तंत्र साधना से दुनिया के रहस्यों, ब्रहमयोगिनी और तमाम शक्तियों को जानने का मौका मिला और वह इस बात से परिचित हुए कि उन्हें दुनिया में क्यों भेजा गया है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.