डीएनए हिंदी: रक्षाबंधन (Rakshabandhan) पर वैसे तो बहुत सी दंतकथाएं प्रचलित हैं, लेकिन आज आपको विष्णु पुराण और भागवत पुराण में वर्णित कथा के बारे में बताने जा रहे हैं. पुराणों के अनुसार मां लक्ष्मी ने राजा बलि को अपना भाई बनाया था. रक्षासूत्र बांधकर राजा बलि को देवी ने अपना भाई बना लिया था. हालांकि इस राखी को बांधने के पीछे मां लक्ष्मी की एक मंशा थी. तो चलिए जानें क्या है भगवान विष्णु का मां लक्ष्मी के राखी बांधने के पीछे कनेक्शन.
विष्णु पुराण के अनुसार एक बार राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने महल में रहने का न्योता दिया था. भगवान विष्णु ने बलि के इस आग्रह को स्वीकार भी कर लिया और राजा बलि के साथ रहने लगे. महल में वास के दौरान राजा बलि की सेवा से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न हुए और बलि से वरदान मांगने को कहा.
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इसके बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु से ऐसा वरदान मांग लिया जो मां लक्ष्मी के लिए भारी पड़ गया. भगवान विष्णु भी अपने दिए वरदान से एक ऐसे चक्कर में फंस गए कि उन्हें उसमें से निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. तो चलिए जानें कि क्या हैं रक्षाबंधन और इस वरदान का कनेक्शन.
कथा के अनुसार राजा बलि ने भगवान से एक वरदान मांगा कि वह जब भी कहींं देखे उसे भगवान विष्णु ही नजर आएं. सोते जागते हर क्षण वह उनको देखने की मांग कर बैठा. भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे. भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई. तब नारद जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया. नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए.
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नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं. राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं. राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं. माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है. ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है.
तो इस तरह से मां लक्ष्मी ने राजा बलि के चुंगल से भगवान विष्णु को मुक्त कराया था.तब से मान्यता है कि सर्वप्रथम रक्षाबंधन पर तुलसी या किसी पवित्र पौधे पर राखी पहले बांधनी चाहिए, उसके बाद भाई की कलाई में राखी बांधनी चाहिए.
पढ़ा जाता है इस ख़ास मंत्र को
रक्षाबंधन पर राजा बलि और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए यह ख़ास मंत्र पढ़ा जाता है.
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः
तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल ||
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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