डीएनए हिंदीः ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) में कुंडली का बहुत ही अधिक महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि कुंडली के जरिए ही व्यक्ति का भविष्य प्रभावित होता है. कुंडली में बनने वाले योग और दोष (Kundli Dosh) से इंसान का जीवन प्रभावित होता है. कुंडली में शुभ योग (Kundli Shubh Yog) बन रहे हो तो उसे जीवन में सुख-समृद्धि हासिल होती है जबकि कुंडली में दोष (Kundli Dosh) की वजह से उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसा ही एक विष दोष कुंडली (Vish Dosh in Kundli) में होने से व्यक्ति को परेशानियां उठानी पड़ती हैं. यह योग शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना जाता है. तो चलिए कुंडली के इस योग (Vish Dosh in Kundli) के बारे में और इसके उपाय के बारे में जानते हैं.
कुंडली में विष योग
ज्योतिष शास्त्र में शनि और चंद्र ग्रह को बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. शनि देव ढाई साल में गोचर करते हैं वहीं चंद्रमा सवा 2 दिन में राशि परिवर्तन करते हैं. इन दोनों ग्रह की कुंडली में युति होने से विष योग का निर्माण होता है. यह योग बहुत ही अशुभ माना जाता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति का जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. विष दोष के कारण व्यक्ति के मन मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है. यह व्यक्ति को तनाव, बेचैनी और चिंता से प्रभावित करता है. शिक्षा और खेल के क्षेत्र में भी प्रभाव देखने को मिलता है.
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विष दोष से बचने के ज्योतिषीय उपाय
- प्रतिदिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने से विष दोष को कम किया जा सकता है. शिवलिंग का जलाभिषेक के साथ ही शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी लाभ मिलता है.
- कुंडली से विष दोष को दूर करने के लिए सोमवार और शनिवार के दिन सुबह भगवान शिव जी और शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. शिव जी और शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करने से विशेष लाभ मिलते हैं. पूजा में शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए.
- नारियल को अपने सिर के ऊपर से 7 बार घुमाकर उतारने के बाद इसे पीपल के पेड़ के नीचे फोड़ दें. नारियल फोड़ने के बाद इसका प्रसाद वहीं पर बांट दें. शनिवार शाम को शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाने से भी लाभ मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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