डीएनए हिंदी: हर परिवार के अपने एक कुल देवता होते हैं और पूरा परिवार इनकी पूजा मिलकर करता है लेकिन एक ही परिवार में ईष्ट देव सबके अलग-अलग हो सकते हैं. ईष्ट देव की पूजा के बिना ईश्वरीय आराधना को अधूरा माना जाता है.
ईष्ट देवता जन्म और राशि के अनुसार होते हैं. अमूमन कई लोगों के कोई न कोई भगवान विशेष प्रिय होते हैं. जैसे कोई भोलेबाबा का भक्त होता है तो कोई कृष्ण का प्रेमी होता है. अपनी मन और इच्छा से लोग ईश्वर के प्रति आकर्षित होते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि यही आपके ईष्ट देव हों. इसलिए अपने ईष्ट देव को अगर आपने नजरअंदाज किया तो संभव है आपकी ईश्वरी आराधना पूरी न हो.
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जानिए क्यों ईष्ट देव की पूजा होती है जरूरी
जिस भी राशि से आप ताल्लुक रखते हैं उसका प्रतिनिधित्व कोई न कोई ग्रह करता है और हर ग्रह किसी न किसी देव के अधीन होता है. ऐसे में आपके जन्मवार, ग्रह और देवता का आपके ऊपर सीधा प्रभाव होता है. ये तीनों अपने जातक के बेहद करीब होते हैं. इसलिए आपकी पूजा इनसे होते हुए ईश्वर तक जाती है. अगर बीच में इनकी अवहेलना की जाए तो इससे पूजा पूरी नहीं होगी.
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राशि अनुसार जानें कौन हैं आपके इष्ट देव
मेष: सूर्य देव
वृष: भगवान विष्णु
मिथुन: मां लक्ष्मी
कर्क: हनुमान जी
सिंह: भगवान गणेश
कन्या: मां काली
तुला: कालभैरव और शनि देव
वृश्चिक: भगवान कार्तिकेय
धनु: हनुमान
मकर: दुर्गा जी
कुम्भ: भगवान विष्णु या मां सरस्वती
मीन: भगवान शिव जी
तो अब अपनी पूजा में अपने ईष्ट देव को जरूर शामिल करें और प्रतिदिन इनकी पूजा करें और इनके बीज मंत्र का जाप करें.
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