डीएनए हिंदीः अगले कुछ दिनों में कई शुभ उत्सव व पर्व आने वाले हैं. इस दौरान अलग-अलग देवी-देवताओं की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी. किसी भी पूजा में सबसे पहले कलश की स्थापना (kalash sthapna) की जाती है. कलश की स्थापना करने से पहले कलश के नीचे गेहूं या चावल के दाने के ऊपर कलश की स्थापना की जाती है (kalash sthapana 2022). साथ ही उसके अंदर एक सिक्का भी डाला जाता है. कलश स्थापना में सबसे अहम नारियल होता है कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाने के बाद उसपर नारियल रखा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कलश के ऊपर नारियल क्यों रखा जाता है और इसका क्या महत्व है? अगर नहीं तो इस लेख में बता रहे हैं इस बारे में विस्तार से.
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इसलिए कलश पर रखा जाता है नारियल
- ऐसी मान्यता है कि नारियल में त्रिदेवों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है इसलिए घर के किसी भी शुभ कार्य या पूजा में नारियल को सबसे पहले स्थान दिया जाता है.
- भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ पृथ्वी पर कामधेनु गाय और नारियल का वृक्ष लेकर प्रकट हुए थे इसलिए नारियल को श्री लक्ष्मी का प्रिय फल माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है क्योंकि नारियल श्री लक्ष्मी का अति प्रिय फल है.
- मान्यता है कि नारियल के ऊपर के तीन बिंदु भगवान शिव के त्रिनेत्रों को प्रदर्शित करते हैं इसलिए भगवान शिव की पूजा में भी नारियल का इस्तेमाल किया जाता है.
- शास्त्रों के अनुसार नारियल गुरु ब्रहस्पति का भी प्रिय फल है ऐसे में कलश के ऊपर नारियल रखने से गुरु बृहस्पति भी प्रसन्न होते हैं.
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नियमानुसार करें कलश की स्थापना
धार्मिक ग्रंथों में कलश स्थापना के लिए एक श्लोक का वर्णन मिलता है जहां “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय, ऊर्धवस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय, तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्।” श्लोक में बताया गया है कि कलश में नारियल कैसे रखें. श्लोक में कहा गया है कि जिस तरफ नारियल पेड़ की टहनी से जुड़ा हो वह मुख जातक की तरफ नहीं होना चाहिए साथ ही नारियल का मुख कभी भी नीचे की तरफ नहीं होना चाहिए. कलश पर विधि-विधान व सही नियम से नारियल रखने से पूजा सफल मानी जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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