डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में पितरों की शांति के लिए अमावस्या तिथि पर श्राद्ध करना सबसे उत्तम माना गया है. इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, दान, पूजा करने से सात पीढ़ियों तक खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है. कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
भाद्रपद अमावस्या 14 या 15 सितंबर 2023 कब ? (Bhadrapad Amavasya 14 or 15 September 2023)
भाद्रपद अमावस्या तिथि की शुरुआत 14 सितंबर 2023 को सुबह 04.48 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति 15 सितंबर 2023 को सुबह 07.09 मिनट पर होगी. उदयातिथि के अनुसार 14 और 15 सितंबर दोनों दिन अमावस्या का स्नान, पितरों के निमित्त पूजा की जाएगी. इस दिन धर्म-कर्म में इस्तेमाल होने वाली कुश घास सालभर के लिए इकट्ठा करने की परंपरा है. कुशा एकत्रित करने का काम 14 सितंबर को सूर्योदय के बाद करना उत्तम रहेगा.
भाद्रपद अमावस्या पर करें ये काम (Bhadrapad Amavasya Niyam)
भाद्रपद अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान, दान के अलावा कुशा घास जरुर एकत्रित करें. कुश देवताओं और पितर देवों के पूजन कर्म के लिए श्रेष्ठ होती है. मान्यता है कि ये कुशा सालभर में पूजा, पाठ पितरों के श्राद्ध कर्म में इस्तेमाल की जाए तो समस्त कार्य बिना विघ्न के पूरे हो जाते हैं.
कुशा घास की अंगूठी पहनकर श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है. इसे बहुत पवित्र माना गया है. कुश के आसन पर बैठकर पूजा करने से देवी-देवता जल्द पूजा स्वीकार करते हैं.
कुश का महत्व (Kush Significance)
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि कुश की उत्पत्ति भगवान विष्णु के रोम से हुआ है. कुश का मूल ब्रह्मा, मध्ये विष्णु और अग्रभाव शिव का वास होता है. इसी कारण तुलसी की तरह कुश भी कभी बासी नहीं होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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