Lohri 2023: इस दिन होगी लोहड़ी, जान लें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दुल्ला-भट्टी की कहानी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 01, 2023, 01:10 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Lohri 2023: लोहड़ी का त्योहार पंजाब, हरियाणा और दिल्ली समेत उत्तर भारत में बड़ी रौनक के साथ मनाया जाता है.

डीएनए हिंदी: नए साल 2023 की शुरुआत हो चुकी है. भारत में साल की शुरुआत से ही त्योहार की मनाने शुरू हो जाते हैं. सबसे पहले सिखों और पंजाबियों का प्रमुख त्योहार लोहड़ी (Lohri 2023) मनाया जाता है. लोहड़ी को सर्दियों के खत्म होने का प्रतीक माना जाता है. लोहड़ी के बाद से दिन बड़े होने लगते हैं. देशभर में लोग इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं हालांकि लोहड़ी का त्योहार पंजाब, हरियाणा और दिल्ली समेत उत्तर भारत में बड़ी रौनक के साथ मनाया जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि साल 2023 में लोहड़ी (Lohri 2023) का त्योहार कब मनाया जाएंगा और इसका शुभ मुहूर्त कब है. 

लोहड़ी शुभ मुहूर्त 2023 (Lohri Shubh Muhurat 2023)
लोहड़ी का त्योहार हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. 2023 में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) 15 जनवरी को मनाई जाएगी. तो वहीं लोहड़ी का त्योहार (Lohri 2023) इस साल 14 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा. लोहड़ी के त्योहार को लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है. लोहड़ी के दिन पंजाबी और सिख लोग अलाव जलाकर इसमें गेंहू की बालियां जलाते हैं. साल 2023 में लोहड़ी का शुभ मुहूर्त 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर है. 

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लोहड़ी का महत्व (Significance Of Lohri)
लोहड़ी का त्योहार फसलों से संबंधित होता है इसलिए किसानों के लिए इस त्योहार का बहुत महत्व होता है. यह त्योहार पंजाब में फसल कटने के बाद मनाया जाता है. इस त्योहार के दिन अग्नि और सूर्य देव का आभार प्रकट किया जाता है. लोग आग में तिल, गुड़, गेंहू की बालिया और रेवड़ी डालते हैं साथ ही गुड़ से बनी चीजों को खाते हैं. लोहड़ी के दिन सभी अग्नि देव से रबी की फसल की अच्छी पैदावार के लिए प्रार्थना करते हैं. 

लोहड़ी के लिए कर लें ये तैयारी 

लोहड़ी मनाने के लिए कुछ चीजें बेहद जरूरी होती हैं. लिहाजा इन्‍हें पहले ही बाजार से ले आएं. लोहड़ी के लकड़ी, उपले, सूखा नारियल, मेवे, मूंगफली, गजक, तिल, रेवड़ी, मक्के की जरूरत होती है. पवित्र अग्नि में ये सामग्री अर्पित करने के अलावा रेवड़ी, तिल, गजक, मूंगफली का प्रसाद भी बांटा जाता है. वहीं देवी पार्वती की पूजा कर रहे हैं तो उन्‍हें सिंदूर, बेलपत्र अर्पित करना न भूलें. साथ ही कपूर भी जरूर जलाएं. 

दुल्ला भट्टी की कहानी (Story of Lohri)

लोहड़ी पर्व में दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने की परंपरा बहुत पुरानी है. इस दिन आग के चारो ओर लोग घेरकर बैठते हैं फिर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है. दरअसर इस कहानी को सुनने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि मुगल शासन के दौरान अकबर के समय दुल्ला भट्टी नाम का एक व्यक्ति  पंजाब में रहता था. उस जमाने में अमीर व्यापारी सामान से साथ-साथ शहर की लड़कियों को बेचा करते थे. उस समय दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई. मान्यता है कि उसी समय से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाई जाती है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.) 

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