Ayyappa Temple: मकर संक्रांति पर खुलती हैं अयप्पा मंदिर की 18 पवित्र सीढ़ियां, 41 दिन की तपस्या के बाद होता है दर्शन

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 12, 2023, 09:29 AM IST

साल में एक बार मकर संक्रांति के दिन ही खुलती हैं अयप्पा मंदिर की पवित्र सीढियां

Ayyappa Temple : हर साल मकर संक्रांति के दिन अयप्पा मंदिर की 18 पवित्र सीढियां खोली जाती हैं, इन सीढ़ियों का है खास महत्व है. 

डीएनए हिंदी: Ayyappa Temple 18 Steps Stairs Importance- मकर संक्रांति का पर्व केरला समाज के लोग भी बहुत ही हर्सोल्लास के साथ मनाते हैं. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में भगवान अयप्पा (Lord  Ayyappa) मंदिर की पवित्र 18 सीढियां भी खोली जाएंगी. इन पवित्र सीढ़ियों पर केवल वही श्रद्धालु जा सकेंगे जो 41 दिनों की कठोर तपस्या पूरी करेंगे. फिलहाल श्रद्धालुओं की 35 दिन की तपस्या पूरी हो चुकी है और यह तपस्या मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) के दिन यानी 14 जनवरी को पूरी हो जाएगी. वहीं अन्य श्रद्धालु आम दिनों की तरह मंदिर के पीछे के मार्ग से ही दर्शन करेंगे. अयप्पा मंदिर (Ayyappa Temple) के इन पवित्र सीढ़ियों के खास महत्व है जो साल में केवल एक बार ही खुलता है. चलिए जानते हैं इन सीढ़ियों का क्या है महत्व और मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें. 

18 पवित्र सीढ़ियों का महत्व

मंदिर की 18 सीढ़ियों में से पहली पांच सीढ़ियां मनुष्य की पांच इंद्रियों से संबंधित हैं और इसके बाद वाली आठ सीढ़ियां मानवीय भावनाओं से संबंधित हैं. इसके बाद कि तीन सीढ़ियां मानवीय गुण और अंतिम दो सीढ़ियां ज्ञान और अज्ञान की प्रतीक हैं. 

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श्रद्धालु सिर पर पोटली रख चढ़ते हैं सीढ़ी

मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान शनिश्वर भगवान अयप्पा के दर्शन करने के लिए 41 दिनों का व्रत, नियमों का पालन करने वालों को ही सीढ़ी से चढ़ने की अनुमति मिलती है. ये सभी श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर मंदिर तक जाते हैं और भगवान का दर्शन करते हैं.

मंदिर के नीचे है नौ ग्रह मंदिर

भगवान अयप्पा के अलावा मंदिर के नीचे नौ ग्रह मंदिर भी स्थापित है. यहां हर साल 19 जनवरी से 24 जनवरी तक तिरु उत्सवम मनाया जाता है. मंदिर में सुबह 4.30 बजे से अभिषेक और गणपति पूजा के बाद भक्तगण पवित्र सीढ़ियों का आरोहण करेंगे. इसके बाद शाम 6.30 बजे दीप आराधना, आरती के बाद भोग लगाया जाएगा. 

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आकाश में दिखती है ज्योति

ऐसी मान्यता है यहां रात्रि में आकाश में मकर ज्योति चमकती हुई दिखाई देती है. इस ज्योति के दर्शन के लिए देश भर से हजारों भक्त केरल आते हैं.

हजारों दीपक से सजाया जाएगा मंदिर 

इस मंदिर में मकर संक्रांति की रात भक्तगण स्वयं ज्योति प्रज्ज्वलित करेंगे. इसके साथ ही आकर्षक रंगोली सजाकर मुख्य द्वार से लेकर आंगन, सीढ़ियों और मंदिर के गुंबद तक हजारों जोत प्रज्ज्वलित होंगे. 

केरल के सबरीमाला मंदिर की परंपरा

टाटीबंध स्थित 40 साल पुराने इस मंदिर में केरल के सबरीमाला मंदिर की परंपरा का पालन किया जाता है.  इस मंदिर की स्थापना 1982 में हुई थी, जिसे केरल स्थित प्रसिद्ध मंदिर से विद्वान पुजारी पूजा संपन्ना करवाने आए थे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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