Dussehra 2022: रावण के इन गुणों के कायल थे भगवान राम भी, सीता को नहीं लगाया था हाथ

सुमन अग्रवाल | Updated:Oct 05, 2022, 07:32 AM IST

Lord Ram ने भी राक्षण रावण के कुछ गुणों की तारीफ की थी, उन्होंने लक्षण को रावण की मृत्यु के वक्त उनकी शय्या पर जाकर पैरों पर बैठने को कहा

डीएनए हिंदी: Dussehra 2022, Ravan Ke Gun- राम और रावण की बात करें तो ज्यादातर लोग अपने वशंज में राम का नाम ही रखना चाहते हैं, राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में देखा जाता है लेकिन रावण में कम गुण नहीं थे. रावण भी काफी प्रभावशाली रहे हैं, जिनके गुणों के बारे में काफी कम लोग ही जानते हैं. भगवान राम भी इनके गुणों को सम्मान देते थे और जीवन में धारण भी करते हैं. 

रावण थे गुणों के धनी

राक्षस कुल के चलते ही रावण में राक्ष्सी गुण पैदा हुए, इसलिए ब्राह्मण होने के बाद भी उन्हें हमेशा एक असुर के नजरिए से देखा गया. रामकथा के दौरान एक प्रसंग ऐसा आता है जिसमें इन्हें श्री राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने वाला पात्र माना गया है. मतलब इनकी वजह से ही राम की महिमा हो पाई है. शाक द्वीपीय ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र तथा ऋषि विश्रवा के पुत्र लंकेश शिव के परम भक्त थे. ये काफी ज्ञानी और गुणों के धनी थे. ये अपने समय के सबसे बड़े विद्वान थे.

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इस बात का प्रमाण रामायण के उस प्रसंग में मिलता है जब रावण मृत्यु शय्या पर थे तब श्री राम ने लक्ष्मण जी को उनके पैरों की तरफ बैठकर उनसे राजपाट चलाने और नियंत्रित करने के गुण सीखने के लिए कहा था. कथाओं के अनुसार रावण के शासन काल में लंका का तेज अपने चरम पर था इसलिए उसकी लंका को सोने की लंका व सोने की नगरी भी कहा जाता था.

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रावण का जन्म

पद्म पुराण तथा श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार सतयुग के असुर हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकश्यप दूसरे जन्म में रावण और कुंभकर्ण के रूप में पैदा हुए. तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में इस बात का वर्णन किया है कि त्रेता युग में रावण का जन्म श्राप के चलते हुआ था

-मान्यता है कि श्रीराम द्वारा रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित करते समय रावण ने वहां जाकर पूजा कराई थी, उस पूजन में माता सीता को लंका से लेकर पहुंचा भी था.

- पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने माता सीता को स्पर्श नहीं किया था, अपहरण के समय दशानन उस जगह को ही उखाड़ लाया था, जिस पर देवी सीता खड़ी थीं 

-रावण एक महान कवि के साथ-साथ वीणा वादन में भी पारंगत था. रावण ने भगवान शिव की महिमा का बखान करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत रचा था.

-रावण को तंत्र जगत, ज्योतिष के अलावा रसायन शास्त्र का भी ज्ञान था. रावण का यही ज्ञान मौजूदा समय में रावण संहिता में मिलता है. आज भी तमाम ज्योतिषविदों और तंत्र प्रेमियों के लिए यह बहुत उपयोगी ग्रंथ है.

-शिव जी के साथ साथ वे ब्रह्मा जी के भी भक्त थे. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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