Baglamukhi Jayanti 2023: बगलामुखी जयंती पर करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप, जादू टोने से लेकर शत्रुओं के हर वार का है ये काट

Written By ऋतु सिंह | Updated: Apr 24, 2023, 11:06 AM IST

Maa Baglamukhi Jayanti

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023 को मां बगलामुखी की जयंती है. बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महावविद्या हैं. उन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं.

डीएनए हिंदीः मां बगलामुखी स्तम्भन की देवी है. सम्पूर्ण सृष्टि में तरंग इन्हीं की वजह से है. इनकी उपासना से शत्रुओं का स्तम्भन तथा जातक का जीवन निष्कंटक होता है. सारे ब्रह्मांड की शक्तियां मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकतीं. 

28 अप्रैल यानी वैशाख मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि पर मां बगलामुखी जयंती (Baglamukhi Jayanti) का मनाई जाएगी. उनकी पूजा से शत्रु नाश से लेकर जादू-टोने का असर भी विफल हो जाता है. 

मां बगलामुखी की साधना प्राय: शत्रु भय से मुक्ति और वाक सिद्धि के लिए की जाती है. आदिकाल से ही देवगण, जीव इत्यादि जब-जब भी असुरी शक्तियों द्वारा आक्रांत और आतंकित किए गए अपने दुख निवारण के लिए उन्हें शिव और शक्ति का आश्रय लेना ही पड़ा. 

मां बगलामुखी की पूजा विधि

मां बगलामुखी की साधना में पीले रंग का बहुत ज्यादा महत्व है. ऐसे में मां बगलामुखी की पूजा करते समय साधक को स्नान-ध्यान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और उनकी पूजा भी पीले रंग के आसन पर बैठकर करना चाहिए. मां बगलामुखी के चित्र या मूर्ति को पीले रंग के कपड़े में रखकर पीले पुष्प और पीले फल आदि से पूजा करना चाहिए. माता को ​​हल्दी का तिलक लगाना चाहिए और यदि संभव हो तो माता को खड़ी हल्दी की माला भी अर्पित करें. माता बगलामुखी की पूजा करने वाले साधक का आहार-विहार और व्यवहार भी सात्विक रहना चाहिए. मान्यता है कि पवित्र मन और श्रद्धा के साथ मां बगलामुखी की इस विधि से पूजा करने पर साधक की शीघ्र ही मनोकामना पूरी होती है.

दश महाविद्याओं की शृंखला में 10 देवियां मुख्य मानी जाती हैं

काली, तारा, महाविद्या, भुवनेश्वरी, त्रिपुरभैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला. वर्तमान युग महत्वाकांक्षाओं एवं संघर्ष का युग है और न चाहते हुए भी हमारे जीवन में अनेक शत्रु, बाधाएं और समस्याएं हैं. ऐसे विकट काल में मां बगलामुखी की साधना परम उपयोगी एवं सहायक है. 

ऋषियों की मान्यता है कि सृष्टि की उत्पत्ति आदि के रहस्य का पूर्ण ज्ञान आगम विद्या के माध्यम से ही संभव है. सम्पूर्ण ‘विश्व-विद्या’ होने के कारण इसे ‘महाविद्या’ की संज्ञा प्राप्त है. बगलामुखी को अग्नि पुराण में सिद्ध विद्या कह कर संबोधित किया गया है.

इन मंत्रों का जाप दिलाएगा संकट से मुक्ति

'ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:

'ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा

बगलामुखी मंत्र कब शुरू करना चाहिए?

  1. मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें.
  2. दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें.
  3. साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है.
  4. साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए.

जादू टोने से मुक्ति पाने के लिए बगलामुखी साधना अमोघ विद्या है. इनका चिन्तन-मनन करने से मनुष्य को कोई भय नहीं रहता. अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है.

मां बगलामुखी यंत्र

मां बगलामुखी की मूर्ति की पूजा की तरह उनसे जुड़ा यंत्र भी सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने और शुभ फल देने वाला माना गया है. मान्यता है कि बगलामुखी यंत्र को घर या कार्यस्थल पर रखने से सुख-समृद्धि आदि की राह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं और ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं का नाश होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर