डीएनए हिंदी: Maa Chandraghanta, Power to Tolerate- BK Yogesh- नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (Navratri Third Day) का पूजन होता है. चंद्रघंटा नाम चंद्र और घंटा से बना है. मां चंद्रघंटा को चन्द्रमा को शीतलता प्रदान करने वाली देवी के रूप में माना जाता है. इसके अलावा, विनम्रता और सौम्यता इनके जीवन के आभूषण हैं. वास्तव में,देवी चंद्रघंटा,मां जगदम्बा सरस्वती का ही स्वरूप है,जिन्हें ज्ञान की देवी कहा जाता है. एक मां सर्व गुणों की खान होती हैं. मां को प्रथम गुरु भी कहा जाता है, उनमें समाने की शक्ति विशेष रूप से होती है. यही कारण है कि वह अपनी संतान की हर गलतियों को सागर के समान स्वयं में समा लेती हैं. उसका किसी दूसरे के सामने वर्णन नहीं करती हैं, बल्कि उसकी कमी को अपनी कमी समझकर,उसे दूर करने की कोशिश करती हैं.
मां चंद्रघंटा हमें सिखाती हैं किसी की भी गलती हो उसे माफ कर देना चाहिए,किसी की कोई बात हो तो उसे अपने अंदर ही रखना चाहिए, किसी का कोई सीक्रेट हो तो उसे अपने अंदर ही रखकर समा लेना चाहिए.
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घंटे शब्द का अर्थ
मंदिर में जब घंटा बजता है,तब सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. एक प्रभामंडल तैयार हो जाता है,जिसमें कोई नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर सकती. मां का यह स्वरूप सकारात्मकता से सम्बधित है. इसके साथ ही घंटा शब्द समय की ओर भी इशारा करता है. पुराने जमाने में जब घड़ियां नहीं होती थीं,तब घंटे बजाकर समय की जानकारी दी जाती थी. आज के समय में जहां धर्म की ग्लानि हो रही है, श्रीमद्भागवत गीता में भी वर्णन है, यदा यदा ही धर्मस्य ......"अर्थात जब-जब धर्म की अति ग्लानि होती है,जब इस सृष्टि पर पापाचार,अत्याचार अति वृद्धि को पाने लगते हैं,तब वह इस धरा पर अवतरित होते हैं और अधर्म का विनाश कर एक सत्य धर्म की स्थापना करते हैं. यह संगमयुग कलयुग के अंत और सतयुग की आदि के मध्य का युग है. इसी समय कल्याणकारी परमात्मा शिव इस धरती पर अवतरित होकर हमें आत्मा,परमात्मा,सृष्टि के आदि मध्य अंत और कर्मों की गुह्य गति का ज्ञान देते हैं.
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इस कल्याणकारी समय की जागृति के दिव्य कर्तव्य के कारण जगदम्बा सरस्वती के इस स्वरूप में उनके नाम में घंटा शब्द है, मां जगदम्बा सरस्वती मनुष्य आत्माओं को परमात्मा शिव का य यह दिव्य सन्देश देती हैं कि अब बहुत थोड़ा समय रहा हुआ है स्व-परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करने का,तो आइये, आज के इस दिन के म महत्त्व को जानकर स्वयं को मां जगदम्बा के समान शीतल, विनम्र, सौम्य बनायें
मां ब्रह्मचारिणी हमें अतीत को भूलाकर आगे बढ़ने की शिक्षा देती हैं- ब्रह्माकुमारीज
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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