Maa Durga Visarjan: क्यों मां दुर्गा की विदाई गुरुवार को नहीं होती, क्या है बेटी विदाई की मान्यताएं

Written By सुमन अग्रवाल | Updated: Oct 04, 2022, 11:29 AM IST

मां दुर्गा का विसर्जन कब होना चाहिए, बेटी की विदाई को लेकर हिंदू धर्म में क्या मान्यताएं हैं. जानिए सब कुछ

डीएनए हिंदी: Maa Durga Vidai Shubhu Muhurat- जब नवमी और दशमी तिथि (Navami and Dashami) एक ही दिन लग जाए तो नवमी के दिन ही मां की प्रतिमा का विसर्जन हो जाता है. लेकिन जब भी गुरुवार के दिन नवमी और दशमी तिथि का संयोग होता है तब देवी का विसर्जन नहीं होता है, इन्हें अगले दिन ही श्रद्धा पूर्वक पूजा और हवन के बाद विसर्जित करने का विधान बना हुआ है क्योंकि दुर्गा मां को बेटी की तरह माना जाता है तो लौकिक दुनिया में भी यही परंपरा है कि गुरुवार के दिन बेटी की विदाई घर से नहीं होती है, अशुभ माना जाता है. आईए जानते हैं क्या है यह परंपरा (Durga Maa Visarjan) 

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दुर्गा को मानते हैं बेटी (Durga is the Daughter of Mother Land)

देवी दुर्गा को शिव की पत्नी (Shiv's Wife) होने के कारण माता कहा गया है लेकिन यह हिमालय की पुत्री होने के कारण पृथ्वी वासियों के लिए बेटी भी हैं. नवरात्रि के नौ दिन देवी धरती पर आती है यानि अपने माइके आती है, फिर नवरात्रि खत्म होते ही ससुराल जाने की तैयारी होती है. ऐस मान्यता है कि देवी का आना और उनका जाना दोनों ही बेटी की तरह होता है. इसलिए उनकी विदाई भी ऐसी ही होती है. माता को विदाई के लिए श्रृंगार सामग्री,वस्त्र,मिठाई,चावल,जीरा,धन खोइंछा दिया जाता है. जैसे एक बेटी ससुराल जाती है तो उसके साथ कुछ सामग्री दी जाती है और आंखों में आंसू होते हैं, ठीक उसी तरह से दुर्गा मां की विदाई पर सभी के आंखों में आंसू आते हैं. इसके साथ सबसे जरूरी चीज है कि बेटी की विदाई का दिन शुभ होना चाहिए. 

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क्या है इसके पीछे की मान्यता

बेटी विदाई के संदर्भ में यह मान्यता है कि बेटी को मायके से गुरुवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए. गुरुवार को बेटी को विदा करने से मायका गरीब होता है. मायके में कई तरह की परेशानियां आती हैं. इसलिए बेटी को गुरुवार को घर से विदा नहीं करते हैं. दरअसल गुरुवार के दिन को खाली माना जाता है और बेटियां लक्ष्मी स्वरूप होती हैं जिनके विदा होने से खुशहाली चली जाती है. इसलिए मायका और ससुराल दोनों खुशहाल रहे इसलिए बेटियों को और माता दुर्गा की विदाई गुरुवार को नहीं होती है. ठीक उसी तरह से मां की विदाई का दिन, काल, शुभ समय बहुत महत्वपूर्ण है. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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