Dhanteras Puja 2022: कैसे शुरू हुई मां लक्ष्मी की ये पूजा, क्या है धनतेरस का महत्व

Written By सुमन अग्रवाल | Updated: Oct 22, 2022, 09:41 AM IST

धनतेरस की पूजा का महत्व क्या है, क्या इसके पीछे पौराणिक कथा है, समुद्र मंथन की कथा, जानें इस त्योहार को कैसे मनाते हैं जिससे मां लक्ष्मी खुश हो

्डीएनए हिंदी: Dhanteras Mythological Katha, Significance in Hindi- दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है, इस साल 23 अक्टूबर को धनतेरस (Dhanteras 2022) का पर्व है. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है, इस दिन देवता कुबेर और धन्वंतरि की पूजा होती है. इस दिन समुद्र-मंथन के समय में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश को लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धन्वंतरी त्रयोदशी या धनत्रयोदशी या धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है. 

आईए जानते हैं इस त्योहार का महत्व क्या है

भगवान विष्णु ने इंद्र (Bhagwan Indra) को शाप से मुक्ति दिलाने के लिए असुरों के साथ समुद्र-मंथन के लिए कहा था, तभी राक्षसों को उस अमृत कलश (Amrit Kalash) का लालच आ गया था, इसी तरह से समुद्र मंथन शुरू हुआ. इससे पहले यह एक क्षीर सागर समुद्र था जिसे अब हिन्द महासागर के नाम से भी जाना जाता है. जब देवताओं समुद्र-मंथन शुरू किया, तब भगवान विष्णु (Vishnu) ने कच्छप बनकर मंथन में भाग लिया. ये है धनतेरस से जुड़ी पहली कथा. 

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दूसरी कथा 

एक बार भगवान विष्णु मृत्यु लोक (Vishnu) की ओर से आ रहे थे, ऐसे में मां लक्ष्मी भी उनके साथ चलने को तैयार हो गईं. भगवान ने कहा कि आप मेरा कहना मानेंगी, तो आप मेरे साथ चल सकती हैं. इसे मानने के बाद भगवान के साथ वह भी पृथ्वी लोक आ गईं. वहां पहुंचकर भगवान विष्णु ने दक्षिण दिशा में जाने की इच्छा जताई और लक्ष्मीजी को स्थान विशेष पर रुकने को कहा. इसके बाद वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. मां लक्ष्मी के मन में उस दिशा में जाने की जिज्ञासा हुई और वह चुपके से प्रभु के पीछे चल दीं

इसके बाद उन्होंने खेत से सरसों का फूल लेकर श्रृंगार किया और गन्ने का रस पीया. ऐसा करते समय भगवान विष्णु ने उन्हें देखकर क्रोध में शाप दे दिया कि उन्हें किसान की 12 वर्ष तक सेवा करनी होगी. लक्ष्मीजी के वास से उस किसान का घर धन से भर गया, 12 साल बाद जब प्रभु उन्हें लेने आए,तो किसान ने उन्हें जाने देने से मना कर दिया, तब माता लक्ष्मी ने उस किसान से कहा कि तेरस के दिन घर को अच्छे से साफ करके रात में घी का दीपक जलाओ. एक तांबे के कलश में रुपए और पैसे भरकर शाम को मेरी पूजा करो. ऐसा करने से मैं साल भर तक तुम्हारे साथ रहूंगी. किसान ने ऐसा ही किया. ऐसी मान्यता है कि तब से तेरस के दिन धन की देवी की पूजा की परंपरा शुरू हुई और आज भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है.

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क्यों मनाते हैं धनतेरस (Why to Celebrate Dhanteras) 

धन का मतलब समृद्धि और तेरस का मतलब तेरहवां दिन होता है. धनतेरस यानि अपने धन को तेरह गुणा बनाने और उसमें वृद्धि करने का द‌िन है. कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व होता है क्योंकि इस दिन कारोबार में मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं. 

धनतेरस पर पूजा का महत्व (Dhanteras Significance) 

धनतेरस का त्योहर धन से जुड़े कामों के लिए बहुत शुभ माना जाता है, इस दिन मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी (Mata Laxmi) की पूजा अर्चना की जाती है, बता दें कि माता लक्ष्मी की पूजा से धन और समृद्धि का लाभ मिलता है और धन की अधिक प्राप्ति होती है, इस दिन लोग कुबेर जी की पूजा भी करते हैं. उनकी पूजा करने का बहुत ही अधिक महत्व होता है, साथ ही इस दिन कुबेर देवता को धन और वैभव का देवता माना जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन कुबेर (Kuber) की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. 

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