Maa Tarini Temple: देवी के इस मंदिर में प्रतिदिन चढ़ते हैं 30 हजार नारियल, 600 साल से भी पुरानी है परंपरा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 26, 2023, 10:46 AM IST

देवी के इस मंदिर में प्रतिदिन चढ़ते हैं 30 हजार नारियल

Maa Tarini Temple: उड़ीसा के तारा तारिणी मंदिर में रोजाना 30 हजार नारियल चढ़ते हैं, जिसे भक्त देश के अलग-अलग जगहों से भेजते हैं.

डीएनए हिंदी: वैसे तो देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी परंपराओं और अनूठे रीति-रिवाजों की वजह से प्रसिद्ध हैं (Famous Temple). लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जहां पर चढ़ावे में सालाना 40 करोड़ रुपये से भी अधिक का नारियल चढ़ जाता है. दरअसल उड़ीसा (Odisha) के केंउझर गांव (Keonjhar village) स्थित तारिणी (Tarini Mata Temple)  मंदिर में प्रतिदिन 30 हजार नारियल चढ़ाए जाते हैं. ऐसे में इन नारियलों से ही मंदिर को लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये मासिक और 40 करोड़ रुपये सालना की कमाई हो जाती है. देश के अलग-अलग हिस्सों से भक्त नारियल भेजते हैं, जिसे माता के दरबार में चढ़ा दिया जाता है. तो आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी इस खास परंपरा के बारे में. 

भक्त भेजते हैं मंदिर में नारियल 

देवी के इस मंदिर में जो भक्त झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल या देश के किसी भी हिस्से में रहते हैं और देवी को नारियल चढ़ाना चाहते हैं, तो इसके लिए भक्त को मंदिर आने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसके लिए भक्त उड़ीसा आने वाले किसी भी ट्रक या बस के ड्राइवर को नारियल दे देते हैं जिसे ड्राइवर माता के दरबार में पहुंचा देते हैं. यह परंपरा लगभग 600 सालों से चली रही है. इसके लिए उड़ीसा के 30 जिलों में नारियल के लिए बॉक्स रखवाए गए हैं. जिसमें ड्राइवर नारियल डाल देते हैं. इसके बाद इन बॉक्स को मंदिर में भेज दिया जाता है. 

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प्रतिदिन चढ़ते हैं 30 हजार नारियल

मंदिर में लगभग 30 हजार नारियल भक्तों के द्वारा माता को भेजे जाते हैं. ऐसे में लगभग 1 करोड़ नारियल सालभर में यहां पहुंचते हैं, इन नारियलों से ही मंदिर को लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपए मासिक और लगभग 40 करोड़ रूपए सालना की कमाई होती है. मंदिर में नारियल भेजने की परंपरा 14वीं शताब्दी से चली आ रही है. 

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मंदिर से जुड़ी है यह कथा 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केंउझर के तत्कालीन राजा गोबिंदा भंजदेव ने मां तारिणी का ये मंदिर 1480 में बनवाया था. कहा जाता है कांची युद्ध के दौरान जब राजा मां को पुरी से केंउझर ला रहे थे तो एक शर्त थी कि राजा को पीछे मुड़कर नहीं देखना था, नहीं तो देवी वहीं रूक जाएंगी. घटगांव के पास जंगलों में राजा को ऐसा लगा कि माता उनके पीछे नहीं आ रही हैं, यह देखने के लिए जैसे ही वो पीछे मुड़े माता उसी स्थान पर स्थित हो गई. ऐसे में राजा ने उसी स्थान पर माता का मंदिर बनवा दिया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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