Gupt Navratri 2023: जनवरी में इस दिन से शुरू होंगी गुप्त नवरात्रि, तंत्र मंत्र साधकों के लिए हैं विशेष महत्वपूर्ण

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 28, 2022, 01:43 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Gupt Navratri 2023: साल में दो बार गुप्त नवरात्रि माघ और अषाढ़ माह में मनाई जाती है. इन नवरात्रि पर गुप्त रूप से देवी मां की पूजा की जाती है.

डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में देवी मां (Devi Maa) की पूजा और अराधना के लिए नवरात्रों (Navratri) का त्योहार मनाया जाता है. साल में दो बार नवरात्रों का त्योहार मनाया जाता है. इन दिनों सभी हिंदू घरों में देवी मां (Devi Maa) की पूजा की जाती है. लोग देवी मां की पूजा अर्चना के लिए नवरात्रों का व्रत रखते हैं. हालांकि इन नवरात्रों से अलग भी दो नवरात्रि मनाई जाती है. इन नवरात्रों को गुप्त रूप से मनाया जाता है. गुप्त मनाए जाने की वजह से ही इसे गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) कहते हैं. आज हम आपको इन गुप्त नवरात्रों के महत्व और पूजा-अर्चना की विधि के बारे में बताएंगे. 

कब मनाए जाती हैं गुप्त नवरात्रि 
साल में दो बार प्रत्क्षय नवरात्रि मनाई जाती है. यह चैत्र और क्वार माह में मनाए जाते हैं. जबकि गुप्त नवरात्रि माघ और अषाढ़ माह में मनाई जाती है. मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि तंत्र मंत्र के साधकों के लिए विशेष होती है. जबकि अन्य नवरात्रों पर सभी लोग देवी मां की पूजा करते हैं. 

साल 2022 की पहली गुप्त नवरात्रि जनवरी में 22 तारीख से शुरू है. यह नवरात्रि 22 जनवरी से शुरू होकर 30 जनवरी को समाप्त होंगी. 

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ऐसे करते हैं गुप्त नवरात्रि पर साधना
नवरात्रों में दुर्गा देवी के विभिन्न रूपों को पूजा जाता है. गुप्त नवरात्रों में गुप्त रूप से किसी को बताए बिना ही देवी मां की पूजा की जाती है. इन दिनों देवी दुर्गा के दस रूपों की गुप्त रूप से पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि देवी की पूजा अर्चना जितनी गुप्त रूप से की जाए उतना ही मां प्रसन्न होती हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होता है. 

मंत्र जाप और हवन से की जाती है देवी की अराधना
गुप्त नवरात्रों में मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी देवी, मां धूम्रावती, भुवनेश्वरी देवी, बगलामुखी माता, मातंगी माता और कमला देवी की पूजा की जाती है. मंत्र जाप और हवन से देवी मां को प्रसन्न किया जाता है. अगर आप हवन आदि कर्मकांड को करने में असहज हैं तो देवी भगवती के नौ दिन का संकल्प लेकर पाठ कर सकते हैं. आप अखंड जोत जलाकर भी माता को प्रसन्न कर सकते हैं.  

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Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.) 

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