भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत माह में दो बार आता है. इसमें पहला प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. इसमें विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
प्रदोष काल में पूजा का बड़ा महत्व है. आज फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत है. यह बुध प्रदोष है, जिस पर पूजा अर्चना करने से भगवान शिव पार्वती के साथ ही गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा. विघ्नहर्ता जीवन के सभी कष्टों को दूर करेंगे. आइए जानते हैं इस व्रत की तिथि, पूजा की विधि और महत्व...
ये तीन ग्रह देते हैं शुभ फल
बुध प्रदोष व्रत में भगवान शिव पार्वती और गणेश जी की पूजा के साथ ही तीन ग्रहों का संयोग रहता है. भगवान की नियम से पूजा पाठ करने के साथ ही व्रत मात्र से गुरु, सूर्य और बुध ग्रह शुभ फल देते हैं. इस साल माघ महीने में बुध प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है. यह तीनों ग्रह व्यक्ति को कुशाग्र, बुद्धि और स्वास्थ्य को कुंडली में मजबूत करते हैं.
फरवरी माह में प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 फरवरी दोपहर 2 बजकर 2 मिनट पर होगी. यह अगले दिन 8 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में उदयातिथि को देखते हुए प्रदोष व्रत 7 फरवरी 2024 को होगा. इस दिन बुधवार होने के कारण यह बुध प्रदोष व्रत होगा. इसकी वजह तीन ग्रहों का एक साथ संयोग बनना है. व्रत में सबसे शुभ समय प्रदोष काल में 7 फरवरी की शाम 6 बजकर 18 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.
इस दिन होगा प्रदोश का दूसरा व्रत
प्रदोश का दूसरा व्रत माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होगा. यह तिथि 21 फरवरी की सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 22 फरवरी को 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन शाम को 6 बजकर 26 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट तक प्रदोष काल है.
जानें व्रत का महत्व और पूजा विधि
प्रदोष व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर मंदिर में दीपक जलाएं. शाम को भगवान का प्रदोष काल में विधि विधान से महादेव और माता पार्वती की पूजा करें. इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है. नियमित रूप से इस व्रत को करने मात्र से भगवान सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं. इस दिन बार बुध प्रदोष में भगवान की पूजा अर्चना करने के साथ ही दो हरी इलायची अर्पित करें. इसके साथ ही 27 बार ॐ बुद्धिप्रदाये नमः मंत्र का जाप करें.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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