डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म ग्रंथो में कई श्रापो का वर्णन है और हर श्राप के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है. कुछ श्राप संसार की भलाई के लिए दिए गए तो कुछ श्रापों के पीछे महत्वपूर्ण कथाएं हैं. ऐसा ही एक श्राप महाभारत काल से अब तक महिलाओं पर चला आ रहा है. महिलाओं पर लगे इस श्राप के पीछे कुंती और कुंती पुत्र कर्ण से जुड़ी एक कथा का वर्णन मिलता है. दरअसल, महाभारत में कर्ण की वीरता की गाथा अलग से वर्णित है.
जिसमें महिलाओं पर लगे श्राप और कर्ण की वीरता का वर्णन मिलता है. आइए जानते हैं महिलाओं पर लगे इस श्राप के बारे में साथ ही जानेंगे इससे जुड़ी पौरोणिक कथा...
क्या है पौराणिक कथा
महाभारत के अनुसार, कुंती की तपस्या से प्रसन्न होकर ऋषि दुर्वासा ने कुंती को एक मंत्र दिया और कहा कि इस मंत्र से जिस-जिस देवता का आवाहन करोगी, उसी-उसी के अनुग्रह से तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. लेकिन, राजकुमारी कुंती ने भूलवश सूर्य देवता का आवाहन कर दिया, जिससे कुंती को कवच-कुंडल धारी सूर्य पुत्र कर्ण वरदान स्वरूप मिल गए.
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लोक-लाज के डर से कुंती ने पुत्र कर्ण को नदी में प्रवाहित कर दिया. लेकिन एक मां होने के नाते कुंती को अपने पुत्र कर्ण का मोह हमेशा था. कुछ समय बाद जब कुंती का विवाह पांडु से हो गया तब उनको उसी मंत्र के आवाहन से युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन और पांडु की दूसरी पत्नी माद्री को नकुल और सहदेव पुत्र रूप में मिले. तब भी कुंती ने किसी को भी कर्ण के बारे में नहीं बताया.
पांडवों को नहीं पता था कर्ण उनके भाई हैं
कर्ण महाभारत युद्ध में कौरवों की सेना में थे. लेकिन पांडवों को ये नहीं पता था कि कर्ण भी उनके ही भाई है. ऐसे में जब युधिष्ठिर को ये सच पता चला तो वो क्रोधित हो गये और ज्येष्ठ भ्राता की हत्या करने पर दुख जताया.
युधिष्ठिर ने सभी समस्त नारी जाती को दे दिया श्राप
क्रोधित युधिष्ठिर ने समस्त नारी जाती को यह श्राप दे दिया कि कभी भी कोई नारी चाहकर भी कोई बात अपने ह्रदय में छिपाकर नहीं रख पाएगी. ऐसा माना जाता है कि तभी से महिलाएं कोई बता छिपा नहीं पाती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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